याद Poetry (page 95)

बे-तमन्ना हूँ ख़स्ता-जान हूँ मैं

आबिद मुनावरी

और किस का घर कुशादा है कहाँ ठहरेगी रात

आबिद मुनावरी

था मुख़्तसर वजूद जसीम-ओ-जरी न थी

आबिद काज़मी

जिन्हें था फ़ख़्र नवाब-ओ-नजीब होते हैं

आबिद काज़मी

जो शख़्स तुझ को फ़रिश्ता दिखाई देता है

आबिद आलमी

सुर्ख़ सहर से है तो बस इतना सा गिला हम लोगों का

अभिषेक शुक्ला

अभी तो आप ही हाइल है रास्ता शब का

अभिषेक शुक्ला

आज यादों ने अजब रंग बिखेरे दिल में

अब्दुर रऊफ़ उरूज

वो शख़्स जिस ने ख़ुद अपना लहू पिया होगा

अब्दुर्रहीम नश्तर

दश्त-ए-अफ़्कार में सूखे हुए फूलों से मिले

अब्दुर्रहीम नश्तर

नंगे पाँव की आहट थी या नर्म हवा का झोंका था

अब्दुल्लाह जावेद

चाँदनी का रक़्स दरिया पर नहीं देखा गया

अब्दुल्लाह जावेद

गल को शर्मिंदा कर ऐ शोख़ गुलिस्तान में आ

अब्दुल वहाब यकरू

अगर वो गुल-बदन दरिया नहाने बे-हिजाब आवे

अब्दुल वहाब यकरू

ऐ मेरी आँखो ये बे-सूद जुस्तुजू कैसी

अब्दुल वहाब सुख़न

ग़म से घबरा के कभी नाला-ओ-फ़रियाद न कर

अब्दुल रहमान ख़ान वासिफ़ी बहराईची

याद तो हक़ की तुझे याद है पर याद रहे

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

गले से लगते ही जितने गिले थे भूल गए

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

गले से लगते ही जितने गिले थे भूल गए

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

चश्म-ए-मस्त उस की याद आने लगी

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

फिर आया जाम-ब-कफ़ गुल-एज़ार ऐ वाइज़

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

नहीं सुनता नहीं आता नहीं बस मेरा चलता है

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

न अदा मुझ से हुआ उस सितम-ईजाद का हक़

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

ख़फ़ा मत हो मुझ को ठिकाने बहुत हैं

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

दिल तो हाज़िर है अगर कीजिए फिर नाज़ से रम्ज़

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

जब निगाह-ए-तलब मो'तबर हो गई

अब्दुल मन्नान तरज़ी

वक़्त अब सर पे वो आया है कि सर याद नहीं

अब्दुल मलिक सोज़

दिल अपना याद-ए-यार से बेगाना तो नहीं

अब्दुल मलिक सोज़

तुझे कुछ इश्क़ ओ उल्फ़त के सिवा भी याद है ऐ दिल

अब्दुल मजीद सालिक

न मोहतसिब की न हूर-ओ-जिनाँ की बात करो

अब्दुल मजीद सालिक

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