याद Poetry (page 96)

ख़िरद में मुब्तिला है 'सालिक' दीवाना बरसों से

अब्दुल मजीद सालिक

जो मुश्त-ए-ख़ाक हो उस ख़ाक-दाँ की बात करो

अब्दुल मजीद सालिक

ग़म के हाथों मिरे दिल पर जो समाँ गुज़रा है

अब्दुल मजीद सालिक

जाना कहाँ है और कहाँ जा रहे हैं हम

अब्दुल मजीद ख़ाँ मजीद

किसी जानिब से कोई मह-जबीं आने ही वाला है

अब्दुल हमीद अदम

जो अक्सर बार-वर होने से पहले टूट जाते थे

अब्दुल हमीद अदम

वो अबरू याद आते हैं वो मिज़्गाँ याद आते हैं

अब्दुल हमीद अदम

कश्ती चला रहा है मगर किस अदा के साथ

अब्दुल हमीद अदम

फ़क़ीर किस दर्जा शादमाँ थे हुज़ूर को कुछ तो याद होगा

अब्दुल हमीद अदम

भूली-बिसरी बातों से क्या तश्कील-ए-रूदाद करें

अब्दुल हमीद अदम

बरसते थे बादल धुआँ फैलता था अजब चार जानिब

अब्दुल हमीद

उसे देख कर अपना महबूब प्यारा बहुत याद आया

अब्दुल हमीद

साए फैल गए खेतों पर कैसा मौसम होने लगा

अब्दुल हमीद

गर्द-ए-फ़िराक़ ग़ाज़ा कश-ए-आइना न हो

अब्दुल हफ़ीज़ नईमी

ताकीद करो ज़मज़मा-संजान-ए-चमन को

अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद

क़ुर्ब नस नस में आग भरता है

अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद

उस से उम्मीद-ए-वफ़ा ऐ दिल-ए-नाशाद न कर

अब्दुल अलीम आसि

नींद मिट्टी की महक सब्ज़े की ठंडक

अब्दुल अहद साज़

अलविदा

अब्दुल अहद साज़

यूँ तो सौ तरह की मुश्किल सुख़नी आए हमें

अब्दुल अहद साज़

मिज़ाज-ए-सहल-तलब अपना रुख़्सतें माँगे

अब्दुल अहद साज़

कभी नुमायाँ कभी तह-नशीं भी रहते हैं

अब्दुल अहद साज़

जाने क़लम की आँख में किस का ज़ुहूर था

अब्दुल अहद साज़

दिखाई देने के और दिखाई न देने के दरमियान सा कुछ

अब्दुल अहद साज़

वर्ना कोई कब गालियाँ देता है किसी को

अब्बास ताबिश

रात को जब याद आए तेरी ख़ुशबू-ए-क़बा

अब्बास ताबिश

मेरा रंज-ए-मुस्तक़िल भी जैसे कम सा हो गया

अब्बास ताबिश

याद कर कर के उसे वक़्त गुज़ारा जाए

अब्बास ताबिश

तेरे लिए सब छोड़ के तेरा न रहा मैं

अब्बास ताबिश

शिकस्ता-ख़्वाब-ओ-शिकस्ता-पा हूँ मुझे दुआओं में याद रखना

अब्बास ताबिश

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