रात को जब याद आए तेरी ख़ुशबू-ए-क़बा
तेरे क़िस्से छेड़ते हैं रात की रानी से हम
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Gulzar
Javed Akhtar
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1697) Peoples Rate This
पहले तो हम छान आए ख़ाक सारे शहर की
आँखों तक आ सकी न कभी आँसुओं की लहर
ये अजब साअत-ए-रुख़्सत है कि डर लगता है
आँख पे पट्टी बाँध के मुझ को तन्हा छोड़ दिया है
दिल दुखों के हिसार में आया
पस-ए-ग़ुबार भी उड़ता ग़ुबार अपना था
एक क़दम तेग़ पे और एक शरर पर रक्खा
कुंज-ए-ग़ज़ल न क़ैस का वीराना चाहिए
मेरे सीने से ज़रा कान लगा कर देखो
तेरी आँखों से अपनी तरफ़ देखना भी अकारत गया
कस कर बाँधी गई रगों में दिल की गिरह तो ढीली है
दहन खोलेंगी अपनी सीपियाँ आहिस्ता आहिस्ता