गले से लगते ही जितने गिले थे भूल गए
वगर्ना याद थीं हम को शिकायतें क्या किया
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Wasi Shah
Parveen Shakir
Habib Jalib
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जो पूछा मैं ने दिल ज़ुल्फ़ों में जूड़े में कहाँ बाँधा
नीम-चा जल्द म्याँ ही न मियाँ कीजिएगा
तिरी आन पे ग़श हूँ हर आन ज़ालिम
आग इस दिल-लगी को लग जाए
कुछ तुम्हें तर्स-ए-ख़ुदा भी है ख़ुदा की वास्ते
अँधेरी रात को मैं रोज़-ए-इश्क़ समझा था
सितम सा कोई सितम है तिरा पनाह तिरी
तुम्हारी चश्म ने मुझ सा न पाया
हर आन जल्वा नई आन से है आने का
यारा है कहाँ इतना कि उस यार को यारो
न पाया गाह क़ाबू आह में ने हाथ जब डाला
दिलबर ये वो है जिस ने दिल को दग़ा दिया है