यार Poetry (page 27)

कितनी ही बारिशें हों शिकायत ज़रा नहीं

रईस फ़रोग़

कितनी ही बारिशें हों शिकायत ज़रा नहीं

रईस फ़रोग़

शमीम-ए-गेसू-ए-मुश्कीन-ए-यार लाई है

रईस अमरोहवी

सफ़र में कोई रुकावट नहीं गदा के लिए

रईस अमरोहवी

तुम अपने हुस्न पे ग़ज़लें पढ़ा करो बैठे

राहील फ़ारूक़

जो बे-रुख़ी का रंग बहुत तेज़ मुझ में है

इरफ़ान सत्तार

ये इत्र बे-ज़ियाँ नहीं नसीम-ए-नौ-बहार की

इक़बाल सुहैल

उफ़ क्या मज़ा मिला सितम-ए-रोज़गार में

इक़बाल सुहैल

अब दिल को हम ने बंदा-ए-जानाँ बना दिया

इक़बाल सुहैल

काहिश-ए-ग़म ने जिगर ख़ून किया अंदर से

इक़बाल कौसर

कभी आइने सा भी सोचना मुझे आ गया

इक़बाल कौसर

यही नहीं कि निगाहों को अश्क-बार किया

इक़बाल कैफ़ी

काम आ गई है गर्दिश-ए-दौराँ कभी कभी

इक़बाल आबिदी

कमर बाँधे हुए चलने को याँ सब यार बैठे हैं

इंशा अल्लाह ख़ान

या वस्ल में रखिए मुझे या अपनी हवस में

इंशा अल्लाह ख़ान

वो देखा ख़्वाब क़ासिर जिस से है अपनी ज़बाँ और हम

इंशा अल्लाह ख़ान

तू ने लगाई अब की ये क्या आग ऐ बसंत

इंशा अल्लाह ख़ान

न तो काम रखिए शिकार से न तो दिल लगाइए सैर से

इंशा अल्लाह ख़ान

लग जा तू मिरे सीना से दरवाज़ा को कर बंद

इंशा अल्लाह ख़ान

किनाया और ढब का इस मिरी मज्लिस में कम कीजे

इंशा अल्लाह ख़ान

कमर बाँधे हुए चलने को याँ सब यार बैठे हैं

इंशा अल्लाह ख़ान

है जिस में क़ुफ़्ल-ए-ख़ाना-ए-ख़ुम्मार तोड़िए

इंशा अल्लाह ख़ान

अश्क मिज़्गान-ए-तर की पूँजी है

इंशा अल्लाह ख़ान

अच्छा जो ख़फ़ा हम से हो तुम ऐ सनम अच्छा

इंशा अल्लाह ख़ान

रवाँ नदी के किनारे सड़क पे रुक जाना

इनाम कबीर

होते होंगे इस दुनिया में अर्श के दा'वेदार बुलंद

इनाम हनफ़ी

कौन है मेरा ख़रीदार नहीं देखता मैं

इनआम आज़मी

जिस तरफ़ देखिए बाज़ार उदासी का है

इनआम आज़मी

उस का बदन भी चाहिए और दिल भी चाहिए

इमरान-उल-हक़ चौहान

कुछ तो ऐ यार इलाज-ए-ग़म-ए-तन्हाई हो

इमरान शनावर

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