यार Poetry (page 29)

इफ़्शा हुए असरार-ए-जुनूँ जामा-दरी से

इमदाद अली बहर

ईफ़ा-ए-व'अदा आप से ऐ यार हो चुका

इमदाद अली बहर

हम नाक़िसों के दौर में कामिल हुए तो क्या

इमदाद अली बहर

हम-ज़ाद है ग़म अपना शादाँ किसे कहते हैं

इमदाद अली बहर

गया सब अंदोह अपने दिल का थमे अब आँसू क़रार आया

इमदाद अली बहर

दुपट्टा वो गुलनार दिखला गए

इमदाद अली बहर

दोस्तो दिल कहीं ज़िन्हार न आने पाए

इमदाद अली बहर

चुनने न दिया एक मुझे लाख झड़े फूल

इमदाद अली बहर

चार दिन है ये जवानी न बहुत जोश में आ

इमदाद अली बहर

बुतो ख़ुदा पे न रक्खो मोआ'मला दिल का

इमदाद अली बहर

बशर रोज़-ए-अज़ल से शेफ़्ता है शान-ओ-शौकत का

इमदाद अली बहर

बग़ैर यार गवारा नहीं कबाब शराब

इमदाद अली बहर

बद-तालई का इलाज क्या हो

इमदाद अली बहर

ऐसे पुर-नूर-ओ-ज़िया यार के रुख़्सारे हैं

इमदाद अली बहर

आज़ुर्दा हो गया वो ख़रीदार बे-सबब

इमदाद अली बहर

आतिश-ए-बाग़ ऐसे भड़की है कि जलती है हवा

इमदाद अली बहर

आश्ना कोई बा-वफ़ा न मिला

इमदाद अली बहर

आहों से होंगे गुम्बद-ए-हफ़्त-आसमाँ ख़राब

इमदाद अली बहर

ज़ोर है गर्मी-ए-बाज़ार तिरे कूचे में

इमाम बख़्श नासिख़

यारों की हम से दिल-शिकनी हो सके कहाँ

इमाम बख़्श नासिख़

वो बेज़ार मुझ से हुआ ज़ार मैं हूँ

इमाम बख़्श नासिख़

कौन सा तन है कि मिस्ल-ए-रूह इस में तू नहीं

इमाम बख़्श नासिख़

है मोहब्बत सब को उस के अबरू-ए-ख़मदार की

इमाम बख़्श नासिख़

दिल में पोशीदा तप-ए-इश्क़-ए-बुताँ रखते हैं

इमाम बख़्श नासिख़

यार परिंदे!

इलियास बाबर आवान

फूल किताबें ले जा, तन्हा रहने दे

इलियास बाबर आवान

घेर लेती है कोई ज़ुल्फ़, कोई बू-ए-बदन

इफ़्तिख़ार मुग़ल

रुख़्सत-ए-यार का मज़मून ब-मुश्किल बाँधा

इफ़्तिख़ार मुग़ल

रख-रखाव में कोई ख़्वार नहीं होता यार

इफ़्तिख़ार मुग़ल

दर-ओ-दीवार ख़ुद-कुशी कर लें

इफ़्तिख़ार फलक काज़मी

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