यार Poetry (page 31)

करते हैं शौक़-ए-दीद में बातें हवा से हम

हातिम अली मेहर

इश्क़-ए-जान-ए-जहाँ नसीब हुआ

हातिम अली मेहर

गुज़रा अपना पस-ए-मुर्दन ही सही

हातिम अली मेहर

गुल-बाँग थी गुलों की हमारा तराना था

हातिम अली मेहर

डुबोएगी बुतो ये जिस्म दरिया-बार पानी में

हातिम अली मेहर

दिल ले गई वो ज़ुल्फ़-ए-रसा काम कर गई

हातिम अली मेहर

ब-ख़ुदा हैं तिरी हिन्दू बुत-ए-मय-ख़्वार आँखें

हातिम अली मेहर

बदन-ए-यार की बू-बास उड़ा लाए हवा

हातिम अली मेहर

बदन-ए-यार की बू-बास उड़ा लाए हवा

हातिम अली मेहर

ऐ 'मेहर' जो वाँ नक़ाब सर का

हातिम अली मेहर

वो जो क़िस्से में था शामिल वही कहता है मुझे

हस्तीमल हस्ती

वो भी चुप-चाप है इस बार ये क़िस्सा क्या है

हस्तीमल हस्ती

दरिया की तरफ़ देख लो इक बार मिरे यार

हस्सान अहमद आवान

रौशन जमाल-ए-यार से है अंजुमन तमाम

हसरत मोहानी

इल्तिफ़ात-ए-यार था इक ख़्वाब-ए-आग़ाज़-ए-वफ़ा

हसरत मोहानी

है वहाँ शान-ए-तग़ाफ़ुल को जफ़ा से भी गुरेज़

हसरत मोहानी

दिल को ख़याल-ए-यार ने मख़्मूर कर दिया

हसरत मोहानी

छुप नहीं सकती छुपाने से मोहब्बत की नज़र

हसरत मोहानी

बे-ज़बानी तर्जुमान-ए-शौक़ बेहद हो तो हो

हसरत मोहानी

अल्लाह-री जिस्म-ए-यार की ख़ूबी कि ख़ुद-ब-ख़ुद

हसरत मोहानी

ऐ याद-ए-यार देख कि बा-वस्फ़-ए-रंज-ए-हिज्र

हसरत मोहानी

यूँ तो आशिक़ तिरा ज़माना हुआ

हसरत मोहानी

वस्ल की बनती हैं इन बातों से तदबीरें कहीं

हसरत मोहानी

उन को रुस्वा मुझे ख़राब न कर

हसरत मोहानी

उन को जो शुग़्ल-ए-नाज़ से फ़ुर्सत न हो सकी

हसरत मोहानी

तासीर-ए-बर्क़-ए-हुस्न जो उन के सुख़न में थी

हसरत मोहानी

सितम हो जाए तम्हीद-ए-करम ऐसा भी होता है

हसरत मोहानी

रोग दिल को लगा गईं आँखें

हसरत मोहानी

रविश-ए-हुस्न-ए-मुराआत चली जाती है

हसरत मोहानी

रौशन जमाल-ए-यार से है अंजुमन तमाम

हसरत मोहानी

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