यार Poetry (page 26)

जो हवा है सूरत-ए-बाद-ए-मुख़ालिफ़ तेज़ है

रशीद लखनवी

हम अजल के आने पर भी तिरा इंतिज़ार करते

रशीद लखनवी

हिज्र है अब था यहीं में ज़ार हम पहलू-ए-दोस्त

रशीद लखनवी

है बे-ख़ुद वस्ल में दिल हिज्र में मुज़्तर सिवा होगा

रशीद लखनवी

है अंधेरा तो समझता हूँ शब-ए-गेसू है

रशीद लखनवी

गर्म रफ़्तार है तेरी ये पता देते हैं

रशीद लखनवी

अगर दिला ग़म-ए-गेसू-ए-यार बढ़ जाता

रशीद लखनवी

तरह-ए-कशां जिसे हिज्रान-ए-यार कहते हैं

रशीद कौसर फ़ारूक़ी

किसे है लौह-ए-वक़्त पर दवाम सोचते रहे

रशीद कामिल

यूँ गँवाता है कोई जान-ए-अज़ीज़

रसा चुग़ताई

तेरे आने का इंतिज़ार रहा

रसा चुग़ताई

हम ने तो इस इश्क़ में यारो खींचे हैं आज़ार बहुत

रसा चुग़ताई

इस उजड़े शहर के आसार तक नहीं पहुँचे

रऊफ़ अमीर

यक़ीनन है कोई माह-ए-मुनव्वर पीछे चिलमन के

रंजूर अज़ीमाबादी

सौदा-ए-सज्दा शाम-ओ-सहर मेरे सर में है

रंजूर अज़ीमाबादी

रोता हमें जो देखा दिल उस का पिघल गया

रंजूर अज़ीमाबादी

जनाज़ा धूम से उस आशिक़-ए-जाँ-बाज़ का निकले

रंजूर अज़ीमाबादी

देता है मुझ को चर्ख़-ए-कुहन बार बार दाग़

रंजूर अज़ीमाबादी

पा-बोस-ए-यार की हमें हसरत है ऐ नसीम

रंगीन सआदत यार ख़ाँ

हम जूँ चकोर ग़श हैं अजी एक यार पर

रंगीन सआदत यार ख़ाँ

होता है मेहरबान कहाँ पर ख़ुदा-ए-इश्क़

राना आमिर लियाक़त

घनी-घनेरी रात में डरने वाला मैं

राजेन्द्र मनचंदा बानी

दम-ए-तकफ़ीन भी गर यार आवे

रजब अली बेग सुरूर

क़ुरआँ किताब है रुख़-ए-जानाँ के सामने

रजब अली बेग सुरूर

नासेहा फ़ाएदा क्या है तुझे बहकाने से

रजब अली बेग सुरूर

लाज़िम है सोज़-ए-इश्क़ का शोला अयाँ न हो

रजब अली बेग सुरूर

क्या ग़ज़ब है कि चार आँखों में

रजब अली बेग सुरूर

करूँ शिकवा न क्यूँ चर्ख़-ए-कुहन से

रजब अली बेग सुरूर

अदीब की महबूबा

राजा मेहदी अली ख़ाँ

नवा-ए-दिल ने करिश्मे दिखाए हैं क्या क्या

राज कुमार क़ैस

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