ज़बां Poetry (page 32)

ऐ दो-जहाँ के मालिक आ'ला है नाम तेरा

अनीसा बेगम

लगा के दिल कोई कुछ पल अमीर रहता है

अनीस अब्र

बड़ा आज़ार-ए-जाँ है वो अगरचे मेहरबाँ है वो

अनीस अंसारी

वो दुनिया थी जहाँ तुम रोक लेते थे ज़बाँ मेरी

आनंद नारायण मुल्ला

'मुल्ला' बना दिया है इसे भी महाज़-ए-जंग

आनंद नारायण मुल्ला

मोहिब्बान-ए-वतन का नारा

आनंद नारायण मुल्ला

अरमाँ को छुपाने से मुसीबत में है जाँ और

आनंद नारायण मुल्ला

दश्त-ए-दिल में सराब ताज़ा हैं

अमजद इस्लाम अमजद

क्यूँ ख़राबात में लाफ़-ए-हमा-दानी वाइ'ज़

अमीरुल्लाह तस्लीम

दिल पे वो वक़्त भी किस दर्जा गिराँ होता है

आमिर उस्मानी

ब-मजबूरी हर इक रंज-ओ-मेहन लिखना पड़ा मुझ को

अमीरुल इस्लाम हाशमी

वो और वा'दा वस्ल का क़ासिद नहीं नहीं

अमीर मीनाई

शमशीर है सिनाँ है किसे दूँ किसे न दूँ

अमीर मीनाई

पूछा न जाएगा जो वतन से निकल गया

अमीर मीनाई

मिरे बस में या तो या-रब वो सितम-शिआर होता

अमीर मीनाई

मैं रो के आह करूँगा जहाँ रहे न रहे

अमीर मीनाई

शाइ'र की दुनिया

अमीर औरंगाबादी

बम्बई रात समुंदर

अमीक़ हनफ़ी

जरस-ए-मय ने पुकारा है उठो और सुनो

अमीन राहत चुग़ताई

इंतिसाब

अम्बरीन सलाहुद्दीन

दिल जिन को ढूँढता है न-जाने कहाँ गए

अंबरीन हसीब अंबर

हर तरफ़ उस के सुनहरे लफ़्ज़ हैं फैले हुए

अम्बर बहराईची

अब क़बीले की रिवायत है बिखरने वाली

अम्बर बहराईची

ज़मज़मा किस की ज़बाँ पर ब-दिल-ए-शाद आया

अमानत लखनवी

क़ौमी तराना

अल्ताफ़ मशहदी

शहद-ओ-शकर से शीरीं उर्दू ज़बाँ हमारी

अल्ताफ़ हुसैन हाली

होती नहीं क़ुबूल दुआ तर्क-ए-इश्क़ की

अल्ताफ़ हुसैन हाली

बरखा-रुत

अल्ताफ़ हुसैन हाली

कोई महरम नहीं मिलता जहाँ में

अल्ताफ़ हुसैन हाली

हक़ वफ़ा के जो हम जताने लगे

अल्ताफ़ हुसैन हाली

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