घाव Poetry (page 22)

सीने की ख़ानक़ाह में आने नहीं दिया

हसन अब्बास रज़ा

शहर में शोर है उस शोख़ के आ जाने का

हसन आबिद

जहाँ तुझ को बिठा कर पूजते हैं पूजने वाले

हरी चंद अख़्तर

हर ज़ख़्म-ए-कोहना वक़्त के मरहम ने भर दिया

हनीफ़ तरीन

एहसास-ए-ना-रसाई से जिस दम उदास था

हनीफ़ तरीन

जो इस ज़मीं से कभी फिर नुमू करूँगा मैं

हनीफ़ नज्मी

याद-ए-फ़रोग़-ए-दस्त-ए-हिनाई न पूछिए

हनीफ़ अख़गर

वो दिल में और क़रीब-ए-रग-ए-गुलू भी मिले

हनीफ़ अख़गर

साज़ में सोज़ जब नहीं आता

हनीफ़ अख़गर

मुझ को मरने की कोई उजलत न थी

हामिदी काश्मीरी

यक़ीन से बाहर बिखरा सच

हमीदा शाहीन

चोरी की भूक

हमीदा शाहीन

जज़्बात तेज़-रौ हैं कि चश्मे उबल पड़े

हामिद इलाहाबादी

क़ुबूल कर के तेरा ग़म ख़ुशी ख़ुशी मैं ने

हमीद नागपुरी

ख़ुद अपने जज़्ब-ए-मोहब्बत की इंतिहा हूँ मैं

हमीद नागपुरी

कभी तो रंग-ए-हुस्न-ए-यार देखूँ

हमीद कौसर

यूँ भी क्या था और अब क्या रह गया

हमीद अलमास

ज़बाँ के साथ यहाँ ज़ाइक़ा भी रक्खा है

हमदम कशमीरी

जो होनी थी वो हम-नशीं हो चुकी

हकीम मोहम्मद अजमल ख़ाँ शैदा

आँखों ने हाल कह दिया होंट न फिर हिला सके

हकीम नासिर

तेरी निगाह-ए-नाज़ जो नावक-असर न हो

हकीम असद अली ख़ान मुज़्तर

उस दरबार में लाज़िम था अपने सर को ख़म करते

हैदर क़ुरैशी

जो बस में है वो कर जाना ज़रूरी हो गया है

हैदर क़ुरैशी

इक ख़्वाब कि जो आँख भिगोने के लिए है

हैदर क़ुरैशी

वहशी थे बू-ए-गुल की तरह इस जहाँ में हम

हैदर अली आतिश

तार-तार-ए-पैरहन में भर गई है बू-ए-दोस्त

हैदर अली आतिश

शब-ए-फ़ुर्क़त में यार-ए-जानी की

हैदर अली आतिश

रोज़-ए-मौलूद से साथ अपने हुआ ग़म पैदा

हैदर अली आतिश

ना-फ़हमी अपनी पर्दा है दीदार के लिए

हैदर अली आतिश

काबा ओ दैर में है किस के लिए दिल जाता

हैदर अली आतिश

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