घाव Poetry (page 21)

यूसुफ़-ए-सानी

हिमायत अली शाएर

ज़िंदगी से मिली सौग़ात ये तन्हाई की

हिदायतुल्लाह ख़ान शम्सी

तड़प के हाल सुनाया तो आँख भर आई

हिदायतुल्लाह ख़ान शम्सी

दिन रात तुम्हारी यादों से हम ज़ख़्म सँवारा करते हैं

हिदायतुल्लाह ख़ान शम्सी

अपने कहते हैं कोई बात तो दुख होता है

हिदायतुल्लाह ख़ान शम्सी

कू-ए-जानाँ में नहीं कोई गुज़र की सूरत

हीरा लाल फ़लक देहलवी

जो पा लिया तुझे मैं ख़ुद को ढूँडने निकला

हज़ीं लुधियानवी

सर-ता-ब-क़दम ख़ून का जब ग़ाज़ा लगा है

हज़ीं लुधियानवी

मिरे रियाज़ का आख़िर असर दिखाई दिया

हज़ीं लुधियानवी

ये जो हर शय में तिरी जल्वागरी है ऐ दोस्त

हज़ार लखनवी

ईज़ाएँ उठाए हुए दुख पाए हुए हैं

हातिम अली मेहर

छोड़ेंगे गरेबाँ का न इक तार कभी हम

हातिम अली मेहर

प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है

हस्तीमल हस्ती

ज़मीनों में सितारे बो रहा हूँ

हाशिम रज़ा जलालपुरी

तिरे ख़याल तिरी आरज़ू से दूर रहे

हाशिम रज़ा जलालपुरी

फ़ैसला हिज्र का मंज़ूर भी हो सकता है

हाशिम रज़ा जलालपुरी

मैं घर से ज़ेहन में कुछ सोचता निकल आया

हसन निज़ामी

निदा-ए-तख़्लीक़

हसन नईम

गया वो ख़्वाब-ए-हक़ीक़त को रू-ब-रू कर के

हसन नईम

हर ज़ख़्म-ए-दिल से अंजुमन-आराई माँग लो

हसन नज्मी सिकन्दरपुरी

बिसात दिल की भला क्या निगाह-ए-यार में है

हसन कमाल

हुस्न जब मक़्तल की जानिब तेग़-ए-बुर्राँ ले चला

हसन बरेलवी

मुझ को 'जलील' कौन कहेगा शिकस्ता-दिल

हसन अख्तर जलील

बरसों तिरी तलब में सफ़ीना रवाँ रहा

हसन अख्तर जलील

पाया जब से ज़ख़्म किसी को खोने का

हसन अकबर कमाल

वो शख़्स तो मुझे हैरान करता जाता था

हसन अकबर कमाल

पाया जब से ज़ख़्म किसी को खोने का

हसन अकबर कमाल

हुनर जो तालिब-ए-ज़र हो हुनर नहीं रहता

हसन अकबर कमाल

दुख उठाओ कितने ही घर बहार करने में

हसन अकबर कमाल

आज भी तेरी ही सूरत है मुक़ाबिल मेरे

हसन अकबर कमाल

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