समय Poetry (page 34)

शहर-ए-दिल कुंज-ए-बयाबान नहीं था पहले

अली मुज़म्मिल

उसी के लिए

अली मोहम्मद फ़र्शी

जिन हौसलों से मेरा जुनूँ मुतमइन न था

अली जव्वाद ज़ैदी

इक आह-ए-ज़ेर-ए-लब के गुनहगार हो गए

अली जव्वाद ज़ैदी

इक आह-ए-ज़ेर-ए-लब के गुनहगार हो गए

अली जव्वाद ज़ैदी

सफ़ीर-ए-लैला-4

अली अकबर नातिक़

नाम ओ नसब

अली अकबर नातिक़

हम ने देखा है ज़माने का बदलना लेकिन

अली अहमद जलीली

अब छलकते हुए साग़र नहीं देखे जाते

अली अहमद जलीली

नज़्म तकमील

अलीना इतरत

मौत आई है ज़माने की तो मर जाने दो

अलीम उस्मानी

इक जुनूँ कहिए उसे जो मिरे सर से निकला

अलीम मसरूर

दिल को शाइस्ता-ए-एहसास-ए-तमन्ना न करें

अलीम अख़्तर

हम को लुत्फ़ आता है अब फ़रेब खाने में

आलम ख़ुर्शीद

कोई सुनता ही नहीं किस को सुनाने लग जाएँ

अकरम नक़्क़ाश

ज़िंदगी तेरे अजब ठोर-ठिकाने निकले

अकमल इमाम

तन्हाई में

अख़्तर-उल-ईमान

सब्ज़ा-ए-बेगाना

अख़्तर-उल-ईमान

काले सफ़ेद परों वाला परिंदा और मेरी एक शाम

अख़्तर-उल-ईमान

एक एहसास

अख़्तर-उल-ईमान

लरज़ उठा है मिरे दिल में क्यूँ न जाने दिया

अख्तर शुमार

पलट सी गई है ज़माने की काया

अख़्तर शीरानी

है क़यामत तिरे शबाब का रंग

अख़्तर शीरानी

दिन रात मय-कदे में गुज़रती थी ज़िंदगी

अख़्तर शीरानी

ऐ दिल वो आशिक़ी के फ़साने किधर गए

अख़्तर शीरानी

वक़्त की क़द्र

अख़्तर शीरानी

नन्हा क़ासिद

अख़्तर शीरानी

दावत

अख़्तर शीरानी

ऐ इश्क़ कहीं ले चल

अख़्तर शीरानी

ऐ इश्क़ हमें बर्बाद न कर

अख़्तर शीरानी

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