अधिक Poetry (page 9)

यार आया है अहवाल-ए-दिल-ए-ज़ार दिखाओ

रिन्द लखनवी

अल्लाह के भी घर से है कू-ए-बुताँ अज़ीज़

रिन्द लखनवी

बजा है हम ज़रूरत से ज़ियादा चाहते हैं

रियाज़ मजीद

आँच आएगी न अंदर की ज़बाँ तक ऐ दिल

रियाज़ मजीद

है ग़नीमत ये फ़रेब-ए-शब-ए-व'अदा ऐ दिल

रज़ा हमदानी

सुनते तो थे 'रज़ा' हैं सब हैं बड़े मुसलमाँ

रज़ा अज़ीमाबादी

मौत भी आती नहीं हिज्र के बीमारों को

रज़ा अज़ीमाबादी

किस लिए सहरा के मुहताज-ए-तमाशा होजिए

रज़ा अज़ीमाबादी

आलम में न कुछ कसरत-ए-अनवार को देखें

रौनक़ टोंकवी

हमारे ख़्वाब हमारी पसंद होते गए

रौनक़ रज़ा

देख उफ़ुक़ के पीले-पन में दूर वो मंज़र डूब गया

रौनक़ रज़ा

यूँही हँसते हुए छोड़ेंगे ग़ज़ल की महफ़िल

रउफ़ रज़ा

मोहब्बत में दिल-सख़्तियाँ और भी हैं

रशीद रामपुरी

शुरूअ' अहल-ए-मोहब्बत के इम्तिहान हुए

रशीद लखनवी

जो मुझे मर्ग़ूब हो वो सोगवारी चाहिए

रशीद लखनवी

जो निहायत मेहरबाँ है और निहाँ रक्खा गया

रख़्शंदा नवेद

जो निहायत मेहरबाँ है और निहाँ रखा गया

रख़्शंदा नवेद

वो दिल से कम ज़बाँ ही से ज़ियादा बात करता था

राजेश रेड्डी

मयस्सर मुफ़्त में थे आसमाँ के चाँद तारे तक

राजेश रेड्डी

इजाज़त कम थी जीने की मगर मोहलत ज़ियादा थी

राजेश रेड्डी

बुलंदी के लिए बस अपनी ही नज़रों से गिरना था

राजेश रेड्डी

इजाज़त कम थी जीने की मगर मोहलत ज़ियादा थी

राजेश रेड्डी

हवस का रंग ज़ियादा नहीं तमन्ना में

रईस फ़रोग़

अब के बिखरा तो मैं यकजा नहीं हो पाऊँगा

राहुल झा

तुम अपने हुस्न पे ग़ज़लें पढ़ा करो बैठे

राहील फ़ारूक़

इधर कुछ दिन से दिल की बेकली कम हो गई है

इरफ़ान सत्तार

मिरे घर से ज़ियादा दूर सहरा भी नहीं लेकिन

इक़बाल साजिद

साए की तरह बढ़ न कभी क़द से ज़ियादा

इक़बाल साजिद

पता कैसे चले दुनिया को क़स्र-ए-दिल के जलने का

इक़बाल साजिद

मुझे नहीं है कोई वहम अपने बारे में

इक़बाल साजिद

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