निकासी Poetry (page 12)

नासेहा आया नसीहत है सुनाने के लिए

सरदार गेंडा सिंह मशरिक़ी

शेर-इमदाद-अली का मेडक

साक़ी फ़ारुक़ी

मौत की ख़ुशबू

साक़ी फ़ारुक़ी

जो तेरे दिल में है वो बात मेरे ध्यान में है

साक़ी फ़ारुक़ी

शरह-ए-ग़म हाए बे-हिसाब हूँ मैं

साक़ी अमरोहवी

ख़राब हो गया जब मेरे जिस्म का काग़ज़

संजय मिश्रा शौक़

फ़ज़ा-ए-ज़ेहन की जलती हवा बदलने तक

संजय मिश्रा शौक़

इक उम्र की देर

समीना राजा

कब इस से क़ब्ल नज़र में गुल-ए-मलाल खिला

समीना राजा

रौशनी तक रौशनी का रास्ता कह लीजिए

समद अंसारी

कभी मिली है जो फ़ुर्सत तो ये हिसाब किया

सलीम शुजाअ अंसारी

धड़कनें बन के जो सीने में रहा करता था

सलीम शुजाअ अंसारी

ज़माँ मकाँ से भी कुछ मावरा बनाने में

सालिम सलीम

कनार-ए-आब तिरे पैरहन बदलने का

सालिम सलीम

यक़ीन है कि वो मेरी ज़बाँ समझता है

सलीम शहज़ाद

फिर न आएगा ये लम्हा सोच ले

सलीम शहज़ाद

लगता है वो आज ख़्वाब जैसा

सलीम शहज़ाद

ज़मीं को सज्दा किया ख़ूँ से बा-वज़ू हो कर

सलीम शाहिद

सुब्ह-ए-सफ़र का राज़ किसी पर यहाँ न खोल

सलीम शाहिद

मुर्दा रगों में ख़ून की गर्मी कहाँ से आई

सलीम शाहिद

मत पूछ कि इस पैकर-ए-ख़ुश-रंग में क्या है

सलीम शाहिद

क्या मेरा इख़्तियार ज़मान-ओ-मकान पर

सलीम शाहिद

खुलती है गुफ़्तुगू से गिरह पेच-ओ-ताब की

सलीम शाहिद

हूँ मैं भी वही मेरा मुक़ाबिल भी वही है

सलीम शाहिद

हर्फ़-ए-बे-मतलब की मैं ने किस क़दर तफ़्सीर की

सलीम शाहिद

फ़र्श-ए-ज़मीं पे बर्ग-ए-ख़िज़ानी का रंग है

सलीम शाहिद

रंग-ए-ख़ुलूस गंग-ओ-जमन में नहीं रहा

सलीम सरफ़राज़

वो आँखें जिन से मुलाक़ात इक बहाना हुआ

सलीम कौसर

सफ़र की इब्तिदा हुई कि तेरा ध्यान आ गया

सलीम कौसर

न कोई नाम ओ नसब है न गोश्वारा मिरा

सलीम कौसर

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