निकासी Poetry (page 14)

कुछ तो वफ़ा का रंग हो दस्त-ए-जफ़ा के साथ

साग़र मेहदी

होली

साग़र ख़य्यामी

गधों का मुशाएरे

साग़र ख़य्यामी

तराना-ए-क़ौमी

सफ़ीर काकोरवी

दिए कितने अँधेरी उम्र के रस्तों में आते हैं

सफ़दर सिद्दीक़ रज़ी

घुटन

सईद नक़वी

बे-सबब ठीक नहीं घर से निकल कर जाना

सईद आरिफ़ी

जो तिरे ख़ित्ता-ए-बे-आब की ख़्वाहिश न बना

सईद अहमद

जब बीनाई सावन ने चुराई हो

सईद अहमद

शोरिश-ए-वक़्त हुई वक़्त की रफ़्तार में गुम

सईद अहमद

सितारे सो गए तो आसमाँ कैसा लगेगा

साबिर ज़फ़र

में सोचता हूँ जिसे आश्ना भी होता है

साबिर ज़फ़र

किसी तौर हो न पिन्हाँ तिरा रंग-ए-रू-सियाही

साबिर ज़फ़र

डूबता हूँ जो हटाता हूँ नज़र पानी से

साबिर ज़फ़र

ये उम्र भर का सफ़र है इसी सहारे पर

साबिर वसीम

तमाम मोजज़े सारी शहादतें ले कर

साबिर वसीम

गुल ओ महताब लिखना चाहता हूँ

साबिर वसीम

असीर-ए-शाम हैं ढलते दिखाई देते हैं

साबिर वसीम

जहाँ में जिस की शोहरत कू-ब-कू है

सबीला इनाम सिद्दीक़ी

क़लम से राब्ता-ए-रंग-ओ-आब टूट गया

सबा नक़वी

अमानत मोहतसिब के घर शराब-ए-अर्ग़वाँ रख दी

साइल देहलवी

दश्त की प्यास बढ़ाने के लिए आए थे

सादुल्लाह शाह

आब-ए-रवाँ हूँ रास्ता क्यूँ न ढूँढ लूँ

रूही कंजाही

ये मय-कदा है कि मस्जिद ये आब है कि शराब

रियाज़ ख़ैराबादी

रंग लाएगा दीदा-ए-पुर-आब

रियाज़ ख़ैराबादी

ये सीधे जो अब ज़ुल्फ़ों वाले हुए हैं

रियाज़ ख़ैराबादी

सितम-ए-ना-रवा को रोते हैं

रियाज़ ख़ैराबादी

पी ली हम ने शराब पी ली

रियाज़ ख़ैराबादी

नहीं छुपता तिरे इ'ताब का रंग

रियाज़ ख़ैराबादी

मुँह ज़ेर-ए-ताक खोला वाइज़ बहुत ही चूका

रियाज़ ख़ैराबादी

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