निकासी Poetry (page 15)

मुझ को न दिल पसंद न दिल की ये ख़ू पसंद

रियाज़ ख़ैराबादी

आप अपनी नक़ाब है प्यारे

रियासत अली ताज

चाँद वीरान है सदियों से मिरे दिल की तरह

रिफ़अत सरोश

मुझे ग़रज़ है सितारे न माहताब के साथ

रहमान फ़ारिस

हसीन दुनिया उजड़ गई तो

रेहान अल्वी

ख़ुद-निगर थे और महव-ए-दीद-ए-हुस्न-ए-यार थे

रज़ी मुजतबा

नाज़ का मारा हुआ हूँ मैं अदा की सौगंद

रज़ा अज़ीमाबादी

जब उठे तेरे आस्ताने से

रज़ा अज़ीमाबादी

इश्क़ की बीमारी है जिन को दिल ही दिल में गलते हैं

रज़ा अज़ीमाबादी

इश्क़ के जाँ-निसार जीते हैं

रज़ा अज़ीमाबादी

गुल-ए-उश्शाक़ रंग-ए-बाख़्ता है

रज़ा अज़ीमाबादी

गुमाँ हद्द-ए-नज़र तक क्या था लेकिन क्या नज़र आया

रौनक़ नईम

वो ख़ुश-सुख़न तो किसी पैरवी से ख़ुश न हुआ

रऊफ़ ख़ैर

ता-ब-कै मंज़िल-ब-मंज़िल हम मुसाफ़िर भागते

रऊफ़ ख़ैर

न जाने कब बसर हुए न जाने कब गुज़र गए

रशक खलीली

अब क्या गिला कि रूह को खिलने नहीं दिया

राशिद मुफ़्ती

सुना कि ख़ूब है उस के दयार का मौसम

राशिद अनवर राशिद

पत्थर पड़े हुए कहीं रस्ता बना हुआ

राशिद अमीन

मुँह किस तरह से मोड़ लूँ ऐसे पयाम से

रशीद क़ैसरानी

शराब-ए-नाब का क़तरा जो साग़र से निकल जाए

रशीद लखनवी

जो मुझे मर्ग़ूब हो वो सोगवारी चाहिए

रशीद लखनवी

हाए शर्म-ए-दिलबरी उस दिलरुबा के हाथ है

रशीद लखनवी

तन्हाइयों के दर्द से रिसता हुआ लहू

रशीद अफ़रोज़

निकल कर साया-ए-अब्र-ए-रवाँ से

रसा चुग़ताई

कहाँ जाते हैं आगे शहर-ए-जाँ से

रसा चुग़ताई

जनाज़ा धूम से उस आशिक़-ए-जाँ-बाज़ का निकले

रंजूर अज़ीमाबादी

नींद आती है मगर ख़्वाब नहीं आते हैं

रम्ज़ी असीम

जब उन के पा-ए-नाज़ की ठोकर में आएगा

रम्ज़ आफ़ाक़ी

लहकती लहरों में जाँ है किनारे ज़िंदा हैं

राम रियाज़

मुस्तक़िल दीद की ये शक्ल नज़र आई है

राम कृष्ण मुज़्तर

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