बज़्म Poetry (page 33)

देखा जो मर्ग तो मरना ज़ियाँ न था

अनवर देहलवी

अश्क बेताब व निगह बे-बाक व चश्म-ए-तर ख़राब

अनवर देहलवी

अब अपना हाल हम उन्हें तहरीर कर चुके

अनवर देहलवी

धूप हो गए साए जल गए शजर जैसे

अनवर अंजुम

हवा का तख़्त बिछाता हूँ रक़्स करता हूँ

अंजुम सलीमी

कितना ढूँडा उसे जब एक ग़ज़ल और कही

अंजुम ख़लीक़

इस ने देखा है सर-ए-बज़्म सितमगर की तरह

अंजुम इरफ़ानी

बड़ी फ़र्ज़-आश्ना है सबा करे ख़ूब काम हिसाब का

अंजुम इरफ़ानी

जो शब भर आँसुओं से तर रहेगा

अंजुम आज़मी

हम से क्या ख़ाक के ज़र्रों ही से पूछा होता

अंजुम आज़मी

बाग़ में रह के बहारों को निभाना होगा

अंजुम अंसारी

शीशा ही चाहिए न मय-ए-अर्ग़वाँ मुझे

अनीस अहमद अनीस

हँसती आँखें हँसता चेहरा इक मजबूर बहाना है

अंदलीब शादानी

उस इक नज़र के बज़्म में क़िस्से बने हज़ार

आनंद नारायण मुल्ला

जान-ए-अफ़्साना यही कुछ भी हो अफ़्साने का नाम

आनंद नारायण मुल्ला

दुनिया है ये किसी का न इस में क़ुसूर था

आनंद नारायण मुल्ला

तुम्हारी बज़्म भी क्या बज़्म है आदाब हैं कैसे

अम्न लख़नवी

ये मय-कश कौन बा-सद लग़्ज़िश-ए-मस्ताना आता है

अम्न लख़नवी

पेच-ओ-ताब

अमजद नजमी

सुब्ह-दम आया तो क्या हंगाम-ए-शाम आया तो क्या

अमजद नजमी

ये जो हासिल हमें हर शय की फ़रावानी है

अमजद इस्लाम अमजद

कभी रक़्स-ए-शाम-ए-बहार में उसे देखते

अमजद इस्लाम अमजद

वस्ल की शब भी अदा-ए-रस्म-ए-हिरमाँ में रहा

अमीरुल्लाह तस्लीम

चारासाज़-ए-ज़ख़्म-ए-दिल वक़्त-ए-रफ़ू रोने लगा

अमीरुल्लाह तस्लीम

पूछा न जाएगा जो वतन से निकल गया

अमीर मीनाई

पहले तो मुझे कहा निकालो

अमीर मीनाई

चाँद सा चेहरा नूर की चितवन माशा-अल्लाह माशा-अल्लाह

अमीर मीनाई

शाइ'र की दुनिया

अमीर औरंगाबादी

आईना-ख़ाने के क़ैदी से

अमीक़ हनफ़ी

कहने को शम-ए-बज़्म-ए-ज़मान-ओ-मकाँ हूँ मैं

अमीक़ हनफ़ी

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