बिछड़ Poetry (page 5)

ज़िंदगी अपनी मुसलसल चाहतों का इक सफ़र

इब्राहीम अश्क

उस की इक दुनिया हूँ मैं और मेरी इक दुनिया है वो

इब्राहीम अश्क

बारिश के क़तरे के दुख से ना-वाक़िफ़ हो

हुमैरा राहत

लाएगा रंग ज़ब्त-ए-फ़ुग़ाँ देखते रहो

होश तिर्मिज़ी

तारों से माहताब से और कहकशाँ से क्या

हीरा लाल फ़लक देहलवी

याद का फूल सर-ए-शाम खिला तो होगा

हसन नईम

माज़ी में रह जाने वाली आँखें

हसन अकबर कमाल

तुझ से बिछड़ के सम्त-ए-सफ़र भूलने लगे

हसन अब्बास रज़ा

तुझ से बिछड़ के सम्त-ए-सफ़र भूलने लगे

हसन अब्बास रज़ा

तेरे हुस्न की ख़ैर बना दे इक दिन का सुल्तान मुझे

हरबंस तसव्वुर

यूँ भी क्या था और अब क्या रह गया

हमीद अलमास

ज़िंदगी को न बना लें वो सज़ा मेरे बाद

हकीम नासिर

आप लोगों के कहे पर ही उखड़ जाते हैं

हैदर क़ुरैशी

बुलबुल गुलों से देख के तुझ को बिगड़ गया

हैदर अली आतिश

हर शे'र ग़ज़ल का कह रहा है

हाफ़िज़ लुधियानवी

क्या बताएँ आप से क्या हस्ती-ए-इंसान है

ग्यान चन्द

क्या बताएँ आप से क्या हस्ती-ए-इंसान है

ग्यान चन्द

एक सन्नाटा दबे-पाँव गया हो जैसे

गुलज़ार

ज़िक्र होता है जहाँ भी मिरे अफ़्साने का

गुलज़ार

इरादा था जी लूँगा तुझ से बिछड़ कर

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

कहीं लोग तन्हा कहीं घर अकेले

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

किसी के नर्म तख़ातुब पे यूँ लगा मुझ को

ग़ज़नफ़र

सुख़न जो उस ने कहे थे गिरह से बाँध लिए

फ़ाज़िल जमीली

जब हम पहली बार मिले थे

फ़ारूक़ बख़्शी

कैसे इन सच्चे जज़्बों की अब उस तक तफ़्हीम करूँ

फ़ारूक़ बख़्शी

सौत क्या शय है ख़ामुशी क्या है

फ़रहत शहज़ाद

मेरी मिट्टी का नसब बे-सर-ओ-सामानी से

फ़रहत एहसास

मैं तमाम गर्द-ओ-ग़ुबार हूँ मुझे मेरी सूरत-ए-हाल दे

फ़रहत एहसास

हर इक जानिब उन आँखों का इशारा जा रहा है

फ़रहत एहसास

तुझे ढूँढती हैं नज़रें मुझे इक झलक दिखा जा

फ़ना बुलंदशहरी

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