छोड़ दो Poetry (page 11)

कशिश से दिल की उस अबरू कमाँ को हम रखा बहला

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

इस दुख में हाए यार यगाने किधर गए

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

फ़िक्र में मुफ़्त उम्र खोना है

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

बाग़ में तू कभू जो हँसता है

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

मिरे रोग का न मलाल कर मिरे चारा-गर

शहज़ाद नय्यर

मिरा नहीं तो वो अपना ही कुछ ख़याल करे

शहज़ाद नय्यर

हर एक गाम पे सदियाँ निसार करते हुए

शहज़ाद नय्यर

छोड़ कर वो हम को तन्हा किस जहाँ में जा बसा

शहज़ाद हुसैन साइल

मर जाने की उस दिल में तमन्ना भी नहीं है

शहज़ाद अंजुम बुरहानी

ज़मीन नाव मिरी बादबाँ मिरे अफ़्लाक

शहज़ाद अहमद

उदास छोड़ गए कश्तियों को साहिल पर

शहज़ाद अहमद

सितारे इस क़दर देखे कि आँखें बुझ गईं अपनी

शहज़ाद अहमद

शहर को छोड़ के वीरानों में आबाद तो हो

शहज़ाद अहमद

न मिले वो तो तलाश उस की भी रहती है मुझे

शहज़ाद अहमद

मैं अपनी जाँ में उसे जज़्ब किस तरह करता

शहज़ाद अहमद

हज़ार चेहरे हैं मौजूद आदमी ग़ाएब

शहज़ाद अहमद

पुराने दोस्तों से अब मुरव्वत छोड़ दी हम ने

शहज़ाद अहमद

मेरी ख़ातिर देर न करना और सफ़र करते जाना

शहज़ाद अहमद

लगे थे ग़म तुझे किस उम्र में ज़माने के

शहज़ाद अहमद

जब आफ़्ताब न निकला तो रौशनी के लिए

शहज़ाद अहमद

फ़स्ल-ए-गुल ख़ाक हुई जब तो सदा दी तू ने

शहज़ाद अहमद

डूब जाएँगे सितारे और बिखर जाएगी रात

शहज़ाद अहमद

दिल से ये कह रहा हूँ ज़रा और देख ले

शहज़ाद अहमद

चराग़ ख़ुद ही बुझाया बुझा के छोड़ दिया

शहज़ाद अहमद

वो कौन था

शहरयार

वामांदगी-ए-शौक़

शहरयार

सियाह रात नहीं लेती नाम ढलने का

शहरयार

शम-ए-दिल शम-ए-तमन्ना न जला मान भी जा

शहरयार

मिशअल-ए-दर्द फिर एक बार जला ली जाए

शहरयार

हम पढ़ रहे थे ख़्वाब के पुर्ज़ों को जोड़ के

शहरयार

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