कशिश से दिल की उस अबरू कमाँ को हम रखा बहला

कशिश से दिल की उस अबरू कमाँ को हम रखा बहला

जो कर क़ब्ज़े में दिल सब का फिरे था सब से वो गहला

जो गुज़रा अर्श से ये नुह फ़लक कुर्सी है उस आगे

करे है ला-मकाँ की सैर आशिक़ छोड़ नौ-महला

थका आख़िर को मजनूँ ग़म से राह-ए-इश्क़ में मेरे

ग़ुबार-ए-ख़ातिर-ओ-आँसू की बारिश देख कर चहला

गुलाबी ल'अल की हुइ हर कली मय-नोश सुन तुझ को

चमन में है खड़ी ले जाम-ए-नीलम नर्गिस-ए-शहला

रखी है हम ने बाज़ी ज़ोर से शमशीर के दुश्मन

किया चाहे था सर वासोख़्त हो मुझ नक़्श से दहला

तुम्हारे हुस्न के गुलशन में प्यारे कुछ न छोड़ूँगा

रक़ीबों के सर ऊपर चढ़ के तोडूँगा ये फल पहला

न था 'नाजी' को लाज़िम तअन करना हर सुख़न-गो पर

जवाब इस शेर का 'हातिम' नहीं कुछ काम तो कहला

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In Hindi By Famous Poet Shaikh Zahuruddin Hatim. is written by Shaikh Zahuruddin Hatim. Complete Poem in Hindi by Shaikh Zahuruddin Hatim. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.