दश्त Poetry (page 5)
तमाम रात वो जागा किसी के वा'दे पर
वफ़ा मलिकपुरी
रवाँ दवाँ सू-ए-मंज़िल है क़ाफ़िला कि जो था
उर्फ़ी आफ़ाक़ी
ज़िंदाबाद ऐ दश्त के मंज़र ज़िंदाबाद
उनवान चिश्ती
तिरी तलाश में जाने कहाँ भटक जाऊँ
उम्मीद फ़ाज़ली
नज़र न आए तो क्या वो मिरे क़यास में है
उम्मीद फ़ाज़ली
इक ऐसा मरहला-ए-रह-गुज़र भी आता है
उम्मीद फ़ाज़ली
मिरी भँवों के ऐन दरमियान बन गया
उमैर नजमी
ख़ाक-ए-हिंद
तिलोकचंद महरूम
होते हैं ख़ुश किसी की सितम-रानियों से हम
तिलोकचंद महरूम
हैरत-ज़दा मैं उन के मुक़ाबिल में रह गया
तिलोकचंद महरूम
ग़लत की हिज्र में हासिल मुझे क़रार नहीं
तिलोकचंद महरूम
मेरी सूरत साया-ए-दीवार-ओ-दर में कौन है
तौसीफ़ तबस्सुम
मेरी सूरत साया-ए-दीवार-ओ-दर में कौन है
तौसीफ़ तबस्सुम
कितने ही तीर ख़म-ए-दस्त-ओ-कमाँ में होंगे
तौसीफ़ तबस्सुम
आइना मिलता तो शायद नज़र आते ख़ुद को
तौसीफ़ तबस्सुम
दर्द जब से दिल-नशीं है इश्क़ है
तौक़ीर तक़ी
हमारी क़ुर्बतों में फ़ासला न रह जाए
तसनीम आबिदी
किसी दयार किसी दश्त में सबा ले चल
तस्लीम इलाही ज़ुल्फ़ी
अब ख़ाना-ब-दोशों का पता है न ख़बर है
तस्लीम इलाही ज़ुल्फ़ी
दिल को क़रार मिलता है अक्सर चुभन के बा'द
तासीर सिद्दीक़ी
अच्छे हैं फ़ासले के ये तारे सजाते हैं
तासीर सिद्दीक़ी
अच्छे लगोगे और भी इतना किया करो
तारिक़ राशीद दरवेश
सुकूत-ए-शब में
तारिक़ क़मर
ख़िज़ाँ-नसीबों पे बैन करती हुई हवाएँ
तारिक़ क़मर
जौन-एलिया से आख़री मुलाक़ात
तारिक़ क़मर
निगहबान-ए-चमन अब धूप और पानी से क्या होगा
तारिक़ मतीन
सरसब्ज़ थे हुरूफ़ प लहजे में हब्स था
तारिक़ जामी
बुझे तो दिल भी थे पर अब दिमाग़ बुझने लगे
तारिक़ बट
फेंकें भी ये लिबास बदन का उतार के
तनवीर सामानी
किस तरह उस को बुलाऊँ ख़ाना-ए-बर्बाद में
तनवीर अंजुम
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