दवा Poetry (page 8)

कोई दवा न दे सके मशवरा-ए-दुआ दिया

हफ़ीज़ जालंधरी

हाए कोई दवा करो हाए कोई दुआ करो

हफ़ीज़ जालंधरी

उन को जिगर की जुस्तुजू उन की नज़र को क्या करूँ

हफ़ीज़ जालंधरी

कोई दवा न दे सके मशवरा-ए-दुआ दिया

हफ़ीज़ जालंधरी

इन तल्ख़ आँसुओं को न यूँ मुँह बना के पी

हफ़ीज़ जालंधरी

ऐ दोस्त मिट गया हूँ फ़ना हो गया हूँ मैं

हफ़ीज़ जालंधरी

पैग़ाम ईद

हफ़ीज़ बनारसी

क्या जुर्म हमारा है बता क्यूँ नहीं देते

हफ़ीज़ बनारसी

ग़म-ए-दिल अब किसी के बस का नहीं

हादी मछलीशहरी

तुम अज़ीज़ और तुम्हारा ग़म भी अज़ीज़

हादी मछलीशहरी

ज़ुल्मत को ज़िया सरसर को सबा बंदे को ख़ुदा क्या लिखना

हबीब जालिब

मुशीर

हबीब जालिब

अहद-ए-सज़ा

हबीब जालिब

कराहते हुए इंसान की सदा हम हैं

हबीब जालिब

जबीन पर क्यूँ शिकन है ऐ जान मुँह है ग़ुस्से से लाल कैसा

हबीब मूसवी

क़त्ल उश्शाक़ किया करते हैं

गोया फ़क़ीर मोहम्मद

बढ़ा जब उस की तवज्जोह का सिलसिला कुछ और

ग़ुलाम मुर्तज़ा राही

तुझे कल ही से नहीं बे-कली न कुछ आज ही से रहा क़लक़

ग़ुलाम मौला क़लक़

जौहर-ए-आसमाँ से क्या न हुआ

ग़ुलाम मौला क़लक़

ऐ सितम-आज़मा जफ़ा कब तक

ग़ुलाम मौला क़लक़

इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना

ग़ालिब

इश्क़ से तबीअत ने ज़ीस्त का मज़ा पाया

ग़ालिब

इब्न-ए-मरयम हुआ करे कोई

ग़ालिब

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है

ग़ालिब

दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ

ग़ालिब

वारस्ता उस से हैं कि मोहब्बत ही क्यूँ न हो

ग़ालिब

तेरे तौसन को सबा बाँधते हैं

ग़ालिब

कहूँ जो हाल तो कहते हो मुद्दआ' कहिए

ग़ालिब

कहते हो न देंगे हम दिल अगर पड़ा पाया

ग़ालिब

इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना

ग़ालिब

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