दीद Poetry (page 11)

दाँतों से जबकि उस गुल-ए-तर के दबाए होंठ

अरशद अली ख़ान क़लक़

दिल-ए-फ़सुर्दा पे सौ बार ताज़गी आई

अर्श मलसियानी

देख लो गे ख़ुद!

आरिफ़ा शहज़ाद

जनाब के रुख़-ए-रौशन की दीद हो जाती

अनवर शऊर

जनाब के रुख़-ए-रौशन की दीद हो जाती

अनवर शऊर

जल्वे दिखाए यार ने अपनी हरीम-ए-नाज़ में

अनवर सहारनपुरी

मोहब्बत हो तो बर्क़-ए-जिस्म-ओ-जाँ हो

अनवर देहलवी

वाइ'ज़ की कड़वी बातों को कब ध्यान में अपने लाते हैं

अंजुम मानपुरी

वा'दा है कि जब रोज़-ए-जज़ा आएगा

अंजुम आज़मी

मोहिब्बान-ए-वतन का नारा

आनंद नारायण मुल्ला

आख़िरी बोसा

अमजद इस्लाम अमजद

भूले से भी न जानिब-ए-अग़्यार देखना

अमीरुल्लाह तस्लीम

ख़ामोशियों को आलम-ए-अस्वात पर कभी

आमिर नज़र

दश्त के खेमा-ए-दरिया में मकीं कोई था

आमिर नज़र

हैं न ज़िंदों में न मुर्दों में कमर के आशिक़

अमीर मीनाई

तुम और हम

अमीक़ हनफ़ी

दुआ की शाख़ पर

अमीक़ हनफ़ी

माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं

अल्लामा इक़बाल

गुलज़ार-ए-हस्त-ओ-बूद न बेगाना-वार देख

अल्लामा इक़बाल

राह में हक़ के अज़ीज़ाँ आप को क़ुर्बां करो

अलीमुल्लाह

पिया के रुख़ की झलक का परतव किया है झलकार आफ़्ताबी

अलीमुल्लाह

नको नसीहत करो अज़ीज़ाँ निगा है हमना मुहन सूँ मीता

अलीमुल्लाह

हुस्न का देख हर तरफ़ गुलज़ार

अलीमुल्लाह

किसी के वादा-ए-फ़र्दा पर ए'तिबार तो है

अलीम अख़्तर

कोई इल्ज़ाम मेरे नाम मेरे सर नहीं आया

अकरम नक़्क़ाश

गहरी सूनी राह और तन्हा सा मैं

अकरम नक़्क़ाश

उम्र-ए-गुरेज़ाँ के नाम

अख़्तर-उल-ईमान

ग़म का आहंग है

अख़्तर ज़ियाई

तेरा हर राज़ छुपाए हुए बैठा है कोई

अख़्तर सिद्दीक़ी

ख़्वाहिश-ए-जादा-ए-राहत से निकलता कैसे

अख्तर शुमार

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