सड़क Poetry (page 13)

अपनी गली में मुझ को न कर दफ़्न बाद-ए-क़त्ल

ग़ालिब

तस्कीं को हम न रोएँ जो ज़ौक़-ए-नज़र मिले

ग़ालिब

दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ

ग़ालिब

नौमीद करे दिल को न मंज़िल का पता दे

फ़ुज़ैल जाफ़री

मौत माँ की तरह साथ है

फ़ज़्ल ताबिश

मैं अक्सर खो सा जाता हूँ गली-कूचों के जंगल में

फ़ाज़िल जमीली

मिसाल-ए-शम्अ जला हूँ धुआँ सा बिखरा हूँ

फ़ाज़िल जमीली

ख़ुमार-ए-शब में तिरा नाम लब पे आया क्यूँ

फ़ाज़िल जमीली

कहीं से नीले कहीं से काले पड़े हुए हैं

फ़ाज़िल जमीली

गुज़रती है जो दिल पर वो कहानी याद रखता हूँ

फ़ाज़िल जमीली

इधर भी देख ज़रा बे-क़रार हम भी हैं

फ़ज़ल हुसैन साबिर

वही रिवायत गज़ीदा-दानिश वही हिकायत किताब वाली

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

उस की गली में ज़र्फ़ से बढ़ कर मिला मुझे

फ़व्वाद अहमद

खिड़कियों पर मल्गजे साए से लहराने लगे

फ़ारूक़ शफ़क़

ब-रोज़-ए-हश्र मिरे साथ दिल-लगी ही तो है

फ़ारूक़ बाँसपारी

परिंदे खेत में अब तक पड़ाव डाले हैं

फ़ारूक़ अंजुम

सर सलामत लिए लौट आए गली से उस की

फ़रहत एहसास

हर गली कूचे में रोने की सदा मेरी है

फ़रहत एहसास

तेरे सूरज को तिरी शाम से पहचानते हैं

फ़रहत एहसास

रास्ता दे ऐ हुजूम-ए-शहर घर जाएँगे हम

फ़रहत एहसास

पैकर-ए-अक़्ल तिरे होश ठिकाने लग जाएँ

फ़रहत एहसास

हम अपना इस्म ले कर शहर-ए-सिफ़त से निकले

फ़रहत एहसास

हर गली कूचे में रोने की सदा मेरी है

फ़रहत एहसास

दिनी हैं सब कोई राती नहीं है

फ़रहत एहसास

दिल ने इमदाद कभी हस्ब-ए-ज़रूरत नहीं दी

फ़रहत एहसास

औरों ने उस गली से क्या क्या न कुछ ख़रीदा

फ़रहत एहसास

रोने के भी आदाब हुआ करते हैं 'फ़ानी'

फ़ानी बदायुनी

वो कहते हैं कि है टूटे हुए दिल पर करम मेरा

फ़ानी बदायुनी

तेरा निगाह-ए-शौक़ कोई राज़-दाँ न था

फ़ानी बदायुनी

दुनिया-ए-हुस्न-ओ-इश्क़ में किस का ज़ुहूर था

फ़ानी बदायुनी

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