हाल Poetry (page 26)

मुझे साँसों की है थोड़ पिया

इंजील सहीफ़ा

तिरे ख़याल का चर्चा तिरे ख़याल की बात

इन्दिरा वर्मा

तमाम उम्र गँवा दी जिसे भुलाने में

इनाम-उल-हक़ जावेद

वो एक शख़्स कि बाइस मिरे ज़वाल का था

इनाम-उल-हक़ जावेद

लिक्खेंगे न इस हार के अस्बाब कहाँ तक

इनाम-उल-हक़ जावेद

समझने वाला मिरा मर्तबा समझता है

इनआम आज़मी

पयाम ले के हवा दूर तक नहीं जाती

इमरान-उल-हक़ चौहान

ये ग़लत है ये साल ठीक नहीं

इमरान शमशाद

रफ़्ता रफ़्ता सब कुछ अच्छा हो जाएगा

इमरान शमशाद

परेशाँ हूँ तिरा चेहरा भुलाया भी नहीं जाता

इमरान साग़र

मैं अपनी हैसियत से कुछ ज़ियादा ले के आया हूँ

इमरान साग़र

मैं अपने हाल-ए-ज़ार का आईना-दार हूँ

इमरान साग़र

रात चराग़ की महफ़िल में शामिल एक ज़माना था

इमदाद निज़ामी

ज़बान-ए-हाल से हम शिकवा-ए-बेदाद करते हैं

इम्दाद इमाम असर

सूली चढ़े जो यार के क़द पर फ़िदा न हो

इम्दाद इमाम असर

शैख़ के हाल पर तअस्सुफ़ है

इम्दाद इमाम असर

मेरे सर में जो रात चक्कर था

इम्दाद इमाम असर

कब ग़ैर हुआ महव तिरी जल्वागरी का

इम्दाद इमाम असर

दिल से क्या पूछता है ज़ुल्फ़-ए-गिरह-गीर से पूछ

इम्दाद इमाम असर

मुद्दत से इल्तिफ़ात मिरे हाल पर नहीं

इमदाद अली बहर

वक़्त-ए-आख़िर हमें दीदार दिखाया न गया

इमदाद अली बहर

सर्व में रंग है कुछ कुछ तिरी ज़ेबाई का

इमदाद अली बहर

रौशन हज़ार चंद हैं शम्स-ओ-क़मर से आप

इमदाद अली बहर

नहीं होने का ये ख़ून-ए-जिगर बंद

इमदाद अली बहर

नफ़्स-ए-सरकश को क़त्ल कर ऐ दिल

इमदाद अली बहर

मेरे आगे तज़्किरा माशूक़-ओ-आशिक़ का बुरा

इमदाद अली बहर

मैं उस बुत का वस्ल ऐ ख़ुदा चाहता हूँ

इमदाद अली बहर

ख़ुर्शीद फ़िराक़ में तपाँ है

इमदाद अली बहर

ख़ूब-रूयान-ए-जहाँ चाँद की तनवीरें हैं

इमदाद अली बहर

जाते है ख़ानक़ाह से वाइज़ सलाम है

इमदाद अली बहर

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