हाल Poetry (page 28)

इस हाल में जीते हो तो मर क्यूँ नहीं जाते

हुसैन ताज रिज़वी

कभी वफ़ूर-ए-तमन्ना कभी मलामत ने

हुसैन आबिद

कभी आहें कभी नाले कभी आँसू निकले

होश तिर्मिज़ी

अजीब हाल था अहद-ए-शबाब में दिल का

हीरानंद सोज़

मुद्दत के बाद

हिमायत अली शाएर

आँखों में वो ख़्वाब नहीं बसते पहला सा वो हाल नहीं होता

हिलाल फ़रीद

शब-ए-फ़िराक़ कुछ ऐसा ख़याल-ए-यार रहा

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

मुझे फ़रेब-ए-वफ़ा दे के दम में लाना था

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

दिल फ़ुर्क़त-ए-हबीब में दीवाना हो गया

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

तड़प के हाल सुनाया तो आँख भर आई

हिदायतुल्लाह ख़ान शम्सी

वो बद-दुआ उसे समझे अगर दुआ लिक्खूँ

हयात लखनवी

वहम-ओ-गुमाँ में भी कहाँ ये इंक़िलाब था

हयात लखनवी

न होती हाल-ए-दिल कहने की गर हिम्मत तो अच्छा था

हया लखनवी

उस का हाल-ए-कमर खुला हमदम

हातिम अली मेहर

साक़ी है न मय है न दफ़-ओ-चंग है होली

हातिम अली मेहर

पूछेगा जो वो रश्क-ए-क़मर हाल हमारा

हातिम अली मेहर

न दिया बोसा-ए-लब खा के क़सम भूल गए

हातिम अली मेहर

जो मेहंदी का बुटना मला कीजिएगा

हातिम अली मेहर

गुल-बाँग थी गुलों की हमारा तराना था

हातिम अली मेहर

दीदा-ए-जौहर से बीना हो गया

हातिम अली मेहर

बुतों का सामना है और मैं हूँ

हातिम अली मेहर

चराग़ दिल का मुक़ाबिल हवा के रखते हैं

हस्तीमल हस्ती

पुर्सिश-ए-हाल पे है ख़ातिर-ए-जानाँ माइल

हसरत मोहानी

मानूस हो चला था तसल्ली से हाल-ए-दिल

हसरत मोहानी

ख़ंदा-ए-अहल-ए-जहाँ की मुझे पर्वा क्या है

हसरत मोहानी

'हसरत' जो सुन रहे हैं वो अहल-ए-वफ़ा का हाल

हसरत मोहानी

उन को जो शुग़्ल-ए-नाज़ से फ़ुर्सत न हो सकी

हसरत मोहानी

ताबाँ जो नूर-ए-हुस्न ब-सिमा-ए-इश्क़ है

हसरत मोहानी

क़िस्मत-ए-शौक़ आज़मा न सके

हसरत मोहानी

न सही गर उन्हें ख़याल नहीं

हसरत मोहानी

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