हाल Poetry (page 30)

आँखों से टपके ओस तो जाँ में नमी रहे

हसन नईम

किस ने सुनाया और सुनाया तो क्या सुना

हसन बरेलवी

कौन कहता है कि आ कर देख लो

हसन बरेलवी

अजीब हाल है सहरा-नशीं हैं घर वाले

हसन अज़ीज़

बड़ों ने उस को छीन लिया है बच्चों से

हसन अकबर कमाल

पाया जब से ज़ख़्म किसी को खोने का

हसन अकबर कमाल

वक़्त अजीब चीज़ है वक़्त के साथ ढल गए

हसन आबिद

शहर में शोर है उस शोख़ के आ जाने का

हसन आबिद

हुस्न-ए-मुख़्तार सही इश्क़ भी मजबूर नहीं

हसन आबिद

अली-मोहसिन एम.बी.ए, ख़ालिद-बिन-वलीद रोड

हारिस ख़लीक़

सुना कर हाल क़िस्मत आज़मा कर लौट आए हैं

हरी चंद अख़्तर

ख़ामुशी से सवाल मेरा था

हरबंस तसव्वुर

ना-तवाँ वो हूँ कि दम भर नहीं बैठा जाता

हक़ीर

बहार आई है सदमे से हमारा हाल अबतर है

हक़ीर

आह-ओ-फ़रियाद से मा'मूर चमन है कि जो था

हनीफ़ फ़ौक़

मैं जो अपने हाल से कट गया तो कई ज़मानों में बट गया

हनीफ़ असअदी

वो मुझे सोज़-ए-तमन्ना की तपिश समझा गया

हनीफ़ अख़गर

ख़ल्वत-ए-जाँ में तिरा दर्द बसाना चाहे

हनीफ़ अख़गर

हाल-ए-दिल-ए-बीमार समझ में चारागरों की आए कम

हनीफ़ अख़गर

एक इंसान हूँ इंसाँ का परस्तार हूँ मैं

हामिद मुख़्तार हामिद

हर-चंद दूर दूर वो हुस्न-ओ-जमाल है

हामिद इलाहाबादी

बे-कराँ दरिया हूँ ग़म का और तुग़्यानी में हूँ

हमीद नसीम

नौ-ब-नौ ये जल्वा-ज़ाई ये जमाल-ए-रंग-रंग

हमीद नसीम

तिरे करम से तिरी बे-रुख़ी से क्या लेना

हमीद नागपुरी

कभी तो रंग-ए-हुस्न-ए-यार देखूँ

हमीद कौसर

सीने में राज़-ए-इश्क़ छुपाया न जाएगा

हमीद जालंधरी

कैसा ग़ज़ब ये ऐ दिल-ए-पुर-जोश कर दिया

हमीद जालंधरी

एक क़तरा न कहीं ख़ूँ का बहा मेरे बअ'द

हमदम कशमीरी

वो जो कहता था कि 'नासिर' के लिए जीता हूँ

हकीम नासिर

ज़िंदगी को न बना लें वो सज़ा मेरे बाद

हकीम नासिर

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