हाल Poetry (page 27)

जब कि सर पर वबाल आता है

इमदाद अली बहर

जब दस्त-बस्ता की नहीं उक़्दा-कुशा नमाज़

इमदाद अली बहर

इफ़्शा हुए असरार-ए-जुनूँ जामा-दरी से

इमदाद अली बहर

ईफ़ा-ए-व'अदा आप से ऐ यार हो चुका

इमदाद अली बहर

गया सब अंदोह अपने दिल का थमे अब आँसू क़रार आया

इमदाद अली बहर

फ़ुर्क़त की आफ़त बुरे दिन काटना साल है

इमदाद अली बहर

दम-ए-मर्ग बालीं पर आया तो होता

इमदाद अली बहर

बुतो ख़ुदा पे न रक्खो मोआ'मला दिल का

इमदाद अली बहर

बशर रोज़-ए-अज़ल से शेफ़्ता है शान-ओ-शौकत का

इमदाद अली बहर

अब मरना है अपने ख़ुशी है जीने से बे-ज़ारी है

इमदाद अली बहर

आरास्तगी बड़ी जिला है

इमदाद अली बहर

आबला ख़ार-ए-सर-ए-मिज़्गाँ ने फोड़ा साँप का

इमदाद अली बहर

ग़ैर-निसाबी तारीख़

इलियास बाबर आवान

तर्क-ए-तअल्लुक़ात नहीं चाहता था मैं

इफ़्तिख़ार राग़िब

रात को बाहर अकेले घूमना अच्छा नहीं

इफ़्तिख़ार नसीम

चक-फेरी

इफ़्तिख़ार आरिफ़

ये क़र्ज़-ए-कज-कुलही कब तलक अदा होगा

इफ़्तिख़ार आरिफ़

कोई तो फूल खिलाए दुआ के लहजे में

इफ़्तिख़ार आरिफ़

मैं कुछ दिनों में उसे छोड़ जाने वाला था

इदरीस बाबर

करते फिरते हैं ग़ज़ालाँ तिरा चर्चा साहब

इदरीस बाबर

दिल में है इत्तिफ़ाक़ से दश्त भी घर के साथ साथ

इदरीस बाबर

क्या क्या हैं गिले उस को बता क्यूँ नहीं देता

इब्न-ए-रज़ा

अपनी ज़बाँ से कुछ न कहेंगे चुप ही रहेंगे आशिक़ लोग

इब्न-ए-इंशा

कातिक का चाँद

इब्न-ए-इंशा

दिल इक कुटिया दश्त किनारे

इब्न-ए-इंशा

ऐ मतवालो! नाक़ों वालो!!

इब्न-ए-इंशा

जाने तू क्या ढूँढ रहा है बस्ती में वीराने में

इब्न-ए-इंशा

और तो कोई बस न चलेगा हिज्र के दर्द के मारों का

इब्न-ए-इंशा

'माजिद' ख़ुदा के वास्ते कुछ देर के लिए

हुसैन माजिद

तूफ़ाँ कोई नज़र में न दरिया उबाल पर

हुसैन माजिद

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