हिज्र Poetry (page 6)

इस क़दर ग़ौर से देखा है सरापा उस का

सय्यद काशिफ़ रज़ा

दिल को तुम्हारे रंज की पर्वा बहुत रही

सय्यद काशिफ़ रज़ा

कल पहली बार उस से इनायत सी हो गई

सय्यद अनवार अहमद

जो माल उस ने समेटा था वो भी सारा गया

सय्यद अनवार अहमद

इक चाँद है आवारा-ओ-बेताब ओ फ़लक-ताब

सय्यद अमीन अशरफ़

ज़ेब उस को ये आशोब-ए-गदाई नहीं देता

सय्यद अमीन अशरफ़

जाने किस मोड़ पे दे हिज्र की सौग़ात मुझे

सय्यद अमीन अशरफ़

है किस के लिए लुत्फ़ ग़ज़ब किस के लिए है

सय्यद अमीन अशरफ़

दिल शहर-ए-तहय्युर है कि वो मम्लिकत-आरा

सय्यद अमीन अशरफ़

आदमी जब ख़ून का प्यासा हुआ

सय्यद अहसन जावेद

ये धूप गिरी है जो मिरे लॉन में आ कर

स्वप्निल तिवारी

वो लौट आई है ऑफ़िस से हिज्र ख़त्म हुआ

स्वप्निल तिवारी

समाअतों में बहुत दूर की सदा ले कर

स्वप्निल तिवारी

दिल ज़बाँ ज़ेहन मिरे आज सँवरना चाहें

स्वप्निल तिवारी

किसी के ख़्वाब का साया था काफ़ी वक़्त हुआ

सुनील कुमार जश्न

अब तो दिल ओ दिमाग़ में कोई ख़याल भी नहीं

सुनील कुमार जश्न

ख़राब-ए-दीद को यूँ ही ख़राब रहने दे

सुहा मुजद्ददी

उठी है जो क़दमों से वो दामन से अड़ी है

सूफ़ी तबस्सुम

सौ बार चमन महका सौ बार बहार आई

सूफ़ी तबस्सुम

क्या हुआ जो सितारे चमकते नहीं दाग़ दिल के फ़रोज़ाँ करो दोस्तो

सूफ़ी तबस्सुम

जब अश्क तिरी याद में आँखों से ढले हैं

सूफ़ी तबस्सुम

मुझे मलाल में रखना ख़ुशी तुम्हारी थी

सुबहान असद

सुलगते दश्त का मंज़र हुई हैं

सिया सचदेव

लिखा जो अश्क से तहरीर में नहीं आया

सिया सचदेव

मरहम तिरे विसाल का लाज़िम है ऐ सनम

सिराज औरंगाबादी

जिस कूँ पिव के हिज्र का बैराग है

सिराज औरंगाबादी

या-रब कहाँ गया है वो सर्व-ए-शोख़-रा'ना

सिराज औरंगाबादी

तिरी ज़ुल्फ़ ज़ुन्नार का तार है

सिराज औरंगाबादी

सीमाब जल गया तो उसे गर्द बोलिए

सिराज औरंगाबादी

शर्बत-ए-वस्ल पिला जा लब-ए-शीरीं की क़सम

सिराज औरंगाबादी

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