अमकां Poetry (page 2)

है ता-हद्द-ए-इम्काँ कोई बस्ती न बयाबाँ

सय्यद अमीन अशरफ़

ज़ेब उस को ये आशोब-ए-गदाई नहीं देता

सय्यद अमीन अशरफ़

गंगा जी

सुरूर जहानाबादी

मौसम-ए-गुल कुंज-ए-गुलशन निकहत-ए-गेसू न हो

सुलतान रशक

जाने क्यूँ बातों से जलते हैं गिले करते हैं लोग

सुलतान रशक

मोहब्बत किस क़दर सेहर-आफ़रीं मालूम होती है

सूफ़ी तबस्सुम

लिया जन्नत में भी दोज़ख़ का सहारा हम ने

सिराज लखनवी

शहर सहरा है घर बयाबाँ है

सिद्दीक़ शाहिद

मेरे क़दमों पर निगूँ मेरा ही सर है भी तो क्या

शोएब निज़ाम

इश्क़ में ऐसी करामात कहाँ थी पहले

शिव दयाल सहाब

मैं रूह-ए-आलम-ए-इम्काँ में शरह-ए-अज़्मत-ए-यज़्दाँ

शिबली नोमानी

फिर से वही हालात हैं इम्काँ भी वही है

शहपर रसूल

कई शक्लों में ख़ुद को सोचता है

शीन काफ़ निज़ाम

उन के बग़ैर हम जो गुलिस्ताँ में आ गए

शकील बदायुनी

ये किस के आने के इम्काँ दिखाई देते हैं

शहज़ाद अहमद

ख़ला सा कहीं है

शहराम सर्मदी

याद के शहर मिरी जाँ से गुज़र

शाहिदा तबस्सुम

दर-ए-इम्काँ से गुज़र कर सर-ए-मंज़र आ कर

शाहीन अब्बास

था बाम-ए-फ़लक ख़ाक-बसर आने लगा हूँ

शहाब सफ़दर

क़ैद-ए-इम्काँ से तमन्ना थी गमीं छूट गई

शहाब जाफ़री

दीवानगी-ए-शौक़ का सामाँ सजा के ला

शफ़ीक़ देहलवी

मौज-दर-मौज सफ़ीनों से है धारा रौशन

शफ़क़ सुपुरी

संग-ए-चेहरा-नुमा तो मैं भी हूँ

शबनम रूमानी

बूँद अश्कों से अगर लुत्फ़-ए-रवानी माँगे

सययद मोहम्म्द अब्दुल ग़फ़ूर शहबाज़

ये रस्ता

समीना राजा

पेश-ए-इदराक मिरी फ़िक्र के शाने खुल जाएँ

सलीम शुजाअ अंसारी

कुछ तग़य्युर मिरे अहवाल-ए-परेशाँ में नहीं

सालिक देहलवी

नया मकान

सलीम अहमद

दिल के अंदर दर्द आँखों में नमी बन जाइए

सलीम अहमद

निखरा ख़िज़ाँ से रंग-ए-बहाराँ है इन दिनों

सज्जाद बाक़र रिज़वी

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