कुछ तग़य्युर मिरे अहवाल-ए-परेशाँ में नहीं

कुछ तग़य्युर मिरे अहवाल-ए-परेशाँ में नहीं

ऐसे आलम में हूँ जो आलम-ए-इम्काँ में नहीं

सुब्ह-ए-महशर भी दिखाई नहीं देती यारब

रोज़-ए-बद भी तो नसीब-ए-शब-ए-हिज्राँ में नहीं

वहशत-ए-इश्क़ को साबित-क़दमी भी है ज़रूर

क़ैस का नक़्श-ए-क़दम तक तो बयाबाँ में नहीं

हो गया ज़ौक़ फ़ज़ा-ए-ख़लिश-ए-याद-ए-मिज़ा

कौन कहता है कि लज़्ज़त तिरे पैकाँ में नहीं

दश्त-ए-वहशत में उड़े फिरते हैं आराम से हम

जो सिफ़त ज़ोफ़ में है तख़्त-ए-सुलैमाँ में नहीं

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In Hindi By Famous Poet Salik Dehlvi. is written by Salik Dehlvi. Complete Poem in Hindi by Salik Dehlvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.