प्रेम Poetry (page 48)

दीवानगी में अपना पता पूछता हूँ मैं

इमरान हुसैन आज़ाद

परिंदा आइने से क्या लड़ेगा

इमरान आमी

मैं सच कहूँ पस-ए-दीवार झूट बोलते हैं

इमरान आमी

कोई मेरा इमाम था ही नहीं

इमरान आमी

हम-साए में शैतान भी रहता है ख़ुदा भी

इमरान आमी

ज़बान-ए-हाल से हम शिकवा-ए-बेदाद करते हैं

इम्दाद इमाम असर

यूँही उलझी रहने दो क्यूँ आफ़त सर पर लाते हो

इम्दाद इमाम असर

सूली चढ़े जो यार के क़द पर फ़िदा न हो

इम्दाद इमाम असर

किसी का दिल को रहा इंतिज़ार सारी रात

इम्दाद इमाम असर

ग़म नहीं मुझ को जो वक़्त-ए-इम्तिहाँ मारा गया

इम्दाद इमाम असर

दिल संग नहीं है कि सितमगर न भर आता

इम्दाद इमाम असर

अपनी जाँ-बाज़ी का जिस दम इम्तिहाँ हो जाएगा

इम्दाद इमाम असर

ये दिल है तो आफ़त में पड़ते रहेंगे

इमदाद अली बहर

सीना-कूबी कर चुके ग़म कर चुके

इमदाद अली बहर

नहीं होने का ये ख़ून-ए-जिगर बंद

इमदाद अली बहर

मर गए पर भी न हो बोझ किसी पर अपना

इमदाद अली बहर

मैं उस बुत का वस्ल ऐ ख़ुदा चाहता हूँ

इमदाद अली बहर

मैं सियह-रू अपने ख़ालिक़ से जो ने'मत माँगता

इमदाद अली बहर

महबूब-ए-ख़ुदा ने तुझे नायाब बनाया

इमदाद अली बहर

ख़ुर्शीद-रुख़ों का सामना है

इमदाद अली बहर

कभी देखें जो रू-ए-यार दरख़्त

इमदाद अली बहर

जज़्ब-ए-उल्फ़त ने दिखाया असर अपना उल्टा

इमदाद अली बहर

जब कि सर पर वबाल आता है

इमदाद अली बहर

ईफ़ा-ए-व'अदा आप से ऐ यार हो चुका

इमदाद अली बहर

हम ख़िज़ाँ की अगर ख़बर रखते

इमदाद अली बहर

हम आज-कल हैं नामा-नवीसी की ताव पर

इमदाद अली बहर

हम-ज़ाद है ग़म अपना शादाँ किसे कहते हैं

इमदाद अली बहर

ग़ज़ब है देखने में अच्छी सूरत आ ही जाती है

इमदाद अली बहर

गया सब अंदोह अपने दिल का थमे अब आँसू क़रार आया

इमदाद अली बहर

बुतो ख़ुदा पे न रक्खो मोआ'मला दिल का

इमदाद अली बहर

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