प्रेम Poetry (page 47)

हरा-भरा था चमन में शजर अकेला था

इंतिख़ाब अालम

ज़मीं से उट्ठी है या चर्ख़ पर से उतरी है

इंशा अल्लाह ख़ान

जज़्बा-ए-इश्क़ सलामत है तो इंशा-अल्लाह

इंशा अल्लाह ख़ान

ज़मीं से उट्ठी है या चर्ख़ पर से उतरी है

इंशा अल्लाह ख़ान

या वस्ल में रखिए मुझे या अपनी हवस में

इंशा अल्लाह ख़ान

टुक क़ैस को छेड़-छाड़ कर इश्क़

इंशा अल्लाह ख़ान

टुक आँख मिलाते ही किया काम हमारा

इंशा अल्लाह ख़ान

तोडूँगा ख़ुम-ए-बादा-ए-अंगूर की गर्दन

इंशा अल्लाह ख़ान

नादाँ कहाँ तरब का सर-अंजाम और इश्क़

इंशा अल्लाह ख़ान

न तो काम रखिए शिकार से न तो दिल लगाइए सैर से

इंशा अल्लाह ख़ान

काश अब्र करे चादर-ए-महताब की चोरी

इंशा अल्लाह ख़ान

जब तक कि ख़ूब वाक़िफ़-ए-राज़-ए-निहाँ न हूँ

इंशा अल्लाह ख़ान

हज़रत-ए-इश्क़ इधर कीजे करम या माबूद

इंशा अल्लाह ख़ान

एक दिन रात की सोहबत में नहीं होते शरीक

इंशा अल्लाह ख़ान

बस्ती तुझ बिन उजाड़ सी है

इंशा अल्लाह ख़ान

बंदगी हम ने तो जी से अपनी ठानी आप की

इंशा अल्लाह ख़ान

आने अटक अटक के लगी साँस रात से

इंशा अल्लाह ख़ान

जिला

इंजिला हमेश

एक कहानी इश्क़ की

इंजिला हमेश

सीप मुट्ठी में है आफ़ाक़ भी हो सकता है

इंजील सहीफ़ा

मिरा चेहरा भोला ओ माही

इंजील सहीफ़ा

फ़ज़ा में रंग से बिखरे हैं चाँदनी हुई है

इंजील सहीफ़ा

यूँ वफ़ा के सारे निभाओ ग़म कि फ़रेब में भी यक़ीन हो

इन्दिरा वर्मा

तमाम फ़िक्र ज़माने की टाल देता है

इन्दिरा वर्मा

शिकस्ता-दिल अँधेरी शब अकेला राहबर क्यूँ हो

इन्दिरा वर्मा

उधर जो शख़्स भी आया उसे जवाब हुआ

इनाम कबीर

दर-ए-उमीद मुक़फ़्फ़ल नहीं हुआ अब तक

इनआम आज़मी

पहली सिगरेट पहला ख़्वाब और पहला इश्क़

इमरान शमशाद

मुद्दत से आदमी का यही मसअला रहा

इमरान शमशाद

मैं सारी उम्र अहद-ए-वफ़ा में लगा रहा

इमरान हुसैन आज़ाद

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