प्रेम Poetry (page 49)

बशर रोज़-ए-अज़ल से शेफ़्ता है शान-ओ-शौकत का

इमदाद अली बहर

बग़ैर यार गवारा नहीं कबाब शराब

इमदाद अली बहर

ऐसे पुर-नूर-ओ-ज़िया यार के रुख़्सारे हैं

इमदाद अली बहर

आज़ुर्दा हो गया वो ख़रीदार बे-सबब

इमदाद अली बहर

आबला ख़ार-ए-सर-ए-मिज़्गाँ ने फोड़ा साँप का

इमदाद अली बहर

जिस्म ऐसा घुल गया है मुझ मरीज़-ए-इश्क़ का

इमाम बख़्श नासिख़

ऐन दानाई है 'नासिख़' इश्क़ में दीवानगी

इमाम बख़्श नासिख़

वो बेज़ार मुझ से हुआ ज़ार मैं हूँ

इमाम बख़्श नासिख़

सौ क़िस्सों से बेहतर है कहानी मिरे दिल की

इमाम बख़्श नासिख़

मिरा सीना है मशरिक़ आफ़्ताब-ए-दाग़-ए-हिज्राँ का

इमाम बख़्श नासिख़

कौन सा तन है कि मिस्ल-ए-रूह इस में तू नहीं

इमाम बख़्श नासिख़

हैं अश्क मिरी आँखों में क़ुल्ज़ुम से ज़्यादा

इमाम बख़्श नासिख़

दिल में पोशीदा तप-ए-इश्क़-ए-बुताँ रखते हैं

इमाम बख़्श नासिख़

आ गया जब से नज़र वो शोख़ हरजाई मुझे

इमाम बख़्श नासिख़

तुम्हारे जाते ही हर चश्म-ए-तर को देखते हैं

इमाम अाज़म

वही आग अपना नसीब थी कि तमाम उम्र जला किए

इलियास इश्क़ी

ये बहार वो है जहाँ रही असर-ए-ख़िज़ाँ से बरी रही

इलियास इश्क़ी

वक़्त वक़्त की बात है या दस्तूर है दुनिया का साईं

इलियास इश्क़ी

मस्जिद-ए-अहमरीं

इलियास बाबर आवान

रख़्त-ए-गुरेज़ गाम से आगे की बात है

इलियास बाबर आवान

ज़ब्त ने भींचा तो आ'साब की चीख़ें निकलीं

इकराम आज़म

नशात-ए-नौ की तलब है न ताज़ा ग़म का जिगर

इकराम आज़म

दूर दूर तक सन्नाटा है कोई नहीं है पास

इफ़्तिख़ार क़ैसर

रख-रखाव में कोई ख़्वार नहीं होता यार

इफ़्तिख़ार मुग़ल

रौशनी की डोर थामे ज़िंदगी तक आ गए

इफ़्तिख़ार फलक काज़मी

आसाँ नहीं है जादा-ए-हैरत उबूरना

इफ़्तिख़ार फलक काज़मी

मआल-ए-इज़्ज़त-ए-सादात-ए-इश्क़ देख के हम

इफ़्तिख़ार आरिफ़

बहुत मुश्किल ज़मानों में भी हम अहल-ए-मोहब्बत

इफ़्तिख़ार आरिफ़

सितारा-वार जले फिर बुझा दिए गए हम

इफ़्तिख़ार आरिफ़

शहर-ए-गुल के ख़स-ओ-ख़ाशाक से ख़ौफ़ आता है

इफ़्तिख़ार आरिफ़

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