ऐन दानाई है 'नासिख़' इश्क़ में दीवानगी
आप सौदाई हैं जो कहते हैं सौदाई मुझे
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तीन त्रिबेनी हैं दो आँखें मिरी
दिल सियह है बाल हैं सब अपने पीरी में सफ़ेद
सौ क़िस्सों से बेहतर है कहानी मिरे दिल की
जुस्तुजू करनी हर इक अम्र में नादानी है
फ़ुर्क़त क़ुबूल रश्क के सदमे नहीं क़ुबूल
जान हम तुझ पे दिया करते हैं
रिफ़अत कभी किसी की गवारा यहाँ नहीं
गया वो छोड़ कर रस्ते में मुझ को
तकल्लुम ही फ़क़त है उस सनम का
आती जाती है जा-ब-जा बदली
सनम कूचा तिरा है और मैं हूँ