आती जाती है जा-ब-जा बदली
साक़िया जल्द आ हवा बदली
Javed Akhtar
Rahat Indori
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Gulzar
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(778) Peoples Rate This
दिल सियह है बाल हैं सब अपने पीरी में सफ़ेद
सियह-बख़्ती में कब कोई किसी का साथ देता है
करे जो हर क़दम पर एक नाला
जिस्म ऐसा घुल गया है मुझ मरीज़-ए-इश्क़ का
आ गया जब से नज़र वो शोख़ हरजाई मुझे
ऐन दानाई है 'नासिख़' इश्क़ में दीवानगी
वो बेज़ार मुझ से हुआ ज़ार मैं हूँ
क्या रोज़-ए-बद में साथ रहे कोई हम-नशीं
चैन दुनिया में ज़मीं से ता-फ़लक दम भर नहीं
गया वो छोड़ कर रस्ते में मुझ को
रात दिन नाक़ूस कहते हैं ब-आवाज़-ए-बुलंद
मिरा सीना है मशरिक़ आफ़्ताब-ए-दाग़-ए-हिज्राँ का