अभिव्यक्ति Poetry (page 3)

मुझ से मत कर यार कुछ गुफ़्तार मैं रोज़े से हूँ

सय्यद ज़मीर जाफ़री

गली कूचों में जब सब जल-बुझा आहिस्ता आहिस्ता

सय्यद मुनीर

कैफ़ियत ही कैफ़ियत में हम कहाँ तक आ गए

सय्यद मुबीन अल्वी ख़ैराबादी

क्यूँ सादगी से उस की तकरार हो गई है

सय्यद हामिद

फ़र्द को अस्र की रफ़्तार लिए फिरती है

सय्यद हामिद

बात वो बात नहीं है जो ज़बाँ तक पहुँचे

सय्यद हामिद

कभी मैं जुरअत-ए-इज़हार-ए-मुद्दआ तो करूँ

सय्यद आबिद अली आबिद

यही था वक़्फ़ तिरी महफ़िल-ए-तरब के लिए

सय्यद आबिद अली आबिद

नग़्मा ऐसा भी मिरे सीना-ए-सद-चाक में है

सय्यद आबिद अली आबिद

मौसम-ए-गुल कुंज-ए-गुलशन निकहत-ए-गेसू न हो

सुलतान रशक

जब कोई आलम-ए-शुहूद न था

सुहैल अख़्तर

किसी में ताब-ए-अलम नहीं है किसी में सोज़-ए-वफ़ा नहीं है

सूफ़ी तबस्सुम

ज़बाँ को अपनी गुनहगार करने वाला हूँ

सुबोध लाल साक़ी

फ़सील-ए-दर्द को मैं मिस्मार करने वाली हूँ

सिया सचदेव

तुझे कहता हूँ ऐ दिल इश्क़ का इज़हार मत कीजो

सिराज औरंगाबादी

सनम जब चीरा-ए-ज़र-तार बाँधे

सिराज औरंगाबादी

फ़जर उठ यार का दीदार करनाँ

सिराज औरंगाबादी

अग़्यार छोड़ मुझ सें अगर यार होवेगा

सिराज औरंगाबादी

मौज-ए-ख़याल-ए-यार ग़म-ए-आसार आई है

सिद्दीक़ मुजीबी

शहर-ए-एहसास में ज़ख़्मों के ख़रीदार बहुत

सिद्दीक़ अफ़ग़ानी

ले उड़े ख़ाक भी सहरा के परस्तार मिरी

सिद्दीक़ अफ़ग़ानी

लब-ए-इज़हार पे जब हर्फ़-ए-गवाही आए

सिब्त अली सबा

ख़ुदाया हिन्द का रौशन चराग़-ए-आरज़ू कर दे

श्याम सुंदर लाल बर्क़

अबस है दूरी का उस के शिकवा बग़ल में अपने वो दिल-रुबा है

श्याम सुंदर लाल बर्क़

हज़ार रंग में मुमकिन है दर्द का इज़हार

शुजा ख़ावर

दिल की बातें दूसरों से मत कहो लुट जाओगे

शुजा ख़ावर

यहाँ तो क़ाफ़िले भर को अकेला छोड़ देते हैं

शुजा ख़ावर

इस ए'तिबार से बे-इंतिहा ज़रूरी है

शुजा ख़ावर

दूसरी बातों में हम को हो गया घाटा बहुत

शुजा ख़ावर

रात का तारीक-तर पत्थर जिगर पानी करें

शोएब निज़ाम

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