जान Poetry (page 8)

अक्स-ए-ज़ंजीर पे जाँ देने के पहलू दूँगा

तसनीम फ़ारूक़ी

हुए हो किस लिए बरहम अज़ीज़म

तसनीम आबिदी

बे-मेहर कहते हो उसे जो बेवफ़ा नहीं

मीर तस्कीन देहलवी

क़ुर्बां-गाह-ए-अम्न

तसद्द्क़ हुसैन ख़ालिद

ये जो है ताना-बाना होगा क्या

तरकश प्रदीप

अच्छे लगोगे और भी इतना किया करो

तारिक़ राशीद दरवेश

लहु लहु आँखें

तारिक़ क़मर

अपनी पलकों के शबिस्तान में रक्खा है तुम्हें

तारिक़ क़मर

निगहबान-ए-चमन अब धूप और पानी से क्या होगा

तारिक़ मतीन

मैं हबीब हूँ किसी और का मिरी जान-ए-जाँ कोई और है

तारिक़ मतीन

टूटी है ये कश्ती तो मिरे साथ सफ़र को

तनवीर अंजुम

जब सितारा थक गया

तनवीर अंजुम

जान के एवज़

तनवीर अंजुम

इज़्हार-ए-जुनूँ बर-सर-ए-बाज़ार हुआ है

तनवीर अंजुम

आसमान-ए-यास पर खोया सितारा ढूँढना

तनवीर अंजुम

भूली-बिसरी रात

तख़्त सिंह

बर्दाश्त दर्द-ए-इश्क़ की दुश्वार हो गई

ताजवर नजीबाबादी

मसअला ये भी तो है इस अहद का ऐ जान-ए-जाँ

ताज सईद

जी में आता है कि चल कर जंगलों में जा रहें

ताज सईद

ये लोग करते हैं मंसूब जो बयाँ तुझ से

तैमूर हसन

मैं ने बख़्श दी तिरी क्यूँ ख़ता तुझे इल्म है

तैमूर हसन

जब उस की तस्वीर बनाया करता था

तहज़ीब हाफ़ी

बता ऐ अब्र मुसावात क्यूँ नहीं करता

तहज़ीब हाफ़ी

मुझ सा अंजान किसी मोड़ पे खो सकता है

तहसीन फ़िराक़ी

मैं उस की मोहब्बत से इक दिन भी मुकर जाता

ताहिर अज़ीम

हर दर्द की दवा भी ज़रूरी नहीं कि हो

ताहिर अज़ीम

फ़क़त तुम ही नहीं नाराज़ मुझ से जान-ए-जानाँ

ताहिर अदीम

मुझे वो छोड़ कर जब से गया है इंतिहा है

ताहिर अदीम

आँखों में है कैसा पानी बंद है क्यूँ आवाज़

ताहिर अदीम

ज़ेर-ए-लब रहा नाला दर्द की दवा हो कर

ताबिश देहलवी

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