बर्दाश्त दर्द-ए-इश्क़ की दुश्वार हो गई
अब ज़िंदगी भी जान का आज़ार हो गई
Anwar Masood
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Gulzar
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Wasi Shah
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(637) Peoples Rate This
जिंस-ए-हुनर मज़ाक़-ए-ख़रीदार देख कर
ख़ुदा मुझ को तुझ से ही महरूम कर दे
ग़म-ए-मोहब्बत में दिल के दाग़ों से रू-कश-ए-लाला-ज़ार हूँ मैं
कहीं रुस्वा न हों रंगीनियाँ दर्द-ए-मोहब्बत की
हुस्न-ए-शोख़-चश्म में नाम को वफ़ा नहीं
मोहब्बत में ज़ियाँ-कारी मुराद-ए-दिल न बन जाए
दिल के पर्दों में छुपाया है तिरे इश्क़ का राज़
नज़र भर के जो देख सकते हैं तुझ को
आह उस की बे-कसी तू न जिस के साथ हो
उफ़ वो नज़र कि सब के लिए दिल-नवाज़ है