जाम Poetry (page 16)

कौन सा तन है कि मिस्ल-ए-रूह इस में तू नहीं

इमाम बख़्श नासिख़

शाही बदला

इलियास बाबर आवान

ग़ैर-निसाबी तारीख़

इलियास बाबर आवान

ख़िरद को ख़ाना-ए-दिल का निगह-बाँ कर दिया हम ने

इज्तिबा रिज़वी

क़ुर्बान जाऊँ हुस्न-ए-क़मर इंतिसाब के

इफ़तिख़ार अहमद फख्र

तसव्वुर

इफ़्तिख़ार आज़मी

मिरी मोहब्बत की बे-ख़ुदी को तलाश-ए-हक़्क़-ए-जलाल देना

इफ़्फ़त अब्बास

टूट सकता है छलक सकता है छिन सकता है

इदरीस बाबर

दर्द का दिल का शाम का बज़्म का मय का जाम का

इदरीस बाबर

दिल में है इत्तिफ़ाक़ से दश्त भी घर के साथ साथ

इदरीस बाबर

आज की रात कटेगी क्यूँ कर साज़ न जाम न तो मेहमान

इब्न-ए-सफ़ी

जैसे जैसे दर्द का पिंदार बढ़ता जाए है

हुरमतुल इकराम

तज़ईन-ए-बज़्म-ए-ग़म के लिए कोई शय तो हो

होश तिर्मिज़ी

तज़ईन-ए-बज़्म-ए-ग़म के लिए कोई शय तो हो

होश तिर्मिज़ी

चाँद ने आज जब इक नाम लिया आख़िर-ए-शब

हिमायत अली शाएर

वो शोख़ बाम पे जब बे-नक़ाब आएगा

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

सुकून-ए-दिल के लिए और क़रार-ए-जाँ के लिए

हीरा लाल फ़लक देहलवी

मेरी हस्ती में मिरी ज़ीस्त में शामिल होना

हीरा लाल फ़लक देहलवी

आरास्ता बज़्म-ए-ऐश हुई अब रिंद पिएँगे खुल खुल के

हीरा लाल फ़लक देहलवी

महदूद-निगाही के सनम टूट रहे हैं

हयात वारसी

दास्तान-ए-फ़ितरत है ज़र्फ़ की कहानी है

हयात वारसी

फ़स्ल-ए-गुल आई तो क्या बे-सर-ओ-सामाँ हैं हम

हातिम अली मेहर

ज़ुल्फ़ अंधेर करने वाली है

हातिम अली मेहर

चैन पहलू में उसे सुब्ह नहीं शाम नहीं

हातिम अली मेहर

जो वो नज़र बसर-ए-लुत्फ़ आम हो जाए

हसरत मोहानी

हम ने किस दिन तिरे कूचे में गुज़ारा न किया

हसरत मोहानी

साक़िया पैहम पिला दे मुझ को माला-माल जाम

हसरत अज़ीमाबादी

साक़ी हैं रोज़-ए-नौ-बहार यक दो सह चार पंज ओ शश

हसरत अज़ीमाबादी

न ग़रज़ नंग से रखते हैं न कुछ नाम से काम

हसरत अज़ीमाबादी

अब तुझ से फिरा ये दिल-ए-नाकाम हमारा

हसरत अज़ीमाबादी

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