जाम Poetry (page 14)

जब नशात-ए-अलम नहीं होता

रिफ़अत सुलतान

कैसे कटे क़सीदा-गो हर्फ़-गरों के दरमियाँ

राज़ी अख्तर शौक़

तुझे ऐ ज़ाहिद-बदनाम समझाना भी आता है

रज़ा जौनपुरी

दिल को मामूर करो जज़्ब-ओ-असर से पहले

रज़ा जौनपुरी

टुक बैठ तू ऐ शोख़-ए-दिल-आराम बग़ल में

रज़ा अज़ीमाबादी

निकल मत घर से तू ऐ ख़ाना-आबाद

रज़ा अज़ीमाबादी

दामन से अपने झाड़ के सहरा-ए-ग़म की धूल

रज़ा अश्क

ख़िरद को गुमशुदा-ए-कू-ब-कू समझते हैं

रविश सिद्दीक़ी

ख़ल्वती-ए-ख़याल को होश में कोई लाए क्यूँ

रविश सिद्दीक़ी

दौर-ए-सबूही शोला-ए-मीना रक़्साँ छाँव में तारों की

रविश सिद्दीक़ी

दिल तक हो चाक तेग़ जो सर पर लगाइए

रौनक़ टोंकवी

अब इस से पहले कि तन मन लहू लहू हो जाए

रऊफ़ ख़ैर

ख़्वाब ही में रुख़-ए-पुर-नूर दिखाए कोई

रतन पंडोरवी

आँखों आँखों में मोहब्बत का पयाम आ ही गया

रशीद शाहजहाँपुरी

बहुत उदास है माह-ए-तमाम किस के लिए

राशिद अनवर राशिद

रात के साए

राशिद आज़र

तुझ से वहशत में भी ग़ाफ़िल कब तिरा दीवाना था

रशीद रामपुरी

अपनी तरह मुझे भी ज़माने में आम कर

रशीद क़ैसरानी

जोश-ए-वहशत मेरे तलवों को ये ईज़ा भी सही

रशीद लखनवी

अगर गुल की कोई पती झड़ी है

रशीद लखनवी

रास आया है मुझे वहशत में मर जाना मिरा

रसा रामपुरी

जब तक दौर-ए-जाम चलेगा

रसा चुग़ताई

वो जो भी बख़्शें वो इनआम ले लिया जाए

रम्ज़ आफ़ाक़ी

लो शुरूअ नफ़रत हुई

रमेश कँवल

यादों के दरीचों को ज़रा खोल के देखो

राम रियाज़

गर्दिश-ए-जाम भी है रक़्स भी है साज़ भी है

राम कृष्ण मुज़्तर

नामूस-ए-ज़िंदगी ग़म-ए-इंसाँ में ढाल कर

राम अवतार गुप्ता मुज़्तर

मैं था किसी की याद थी जाम-ए-शराब था

राजेन्द्र नाथ रहबर

तुम्हारी याद

राजेन्द्र नाथ रहबर

क्या क्या सवाल मेरी नज़र पूछती रही

राजेन्द्र नाथ रहबर

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