जाम Poetry (page 18)

मय-कशी गर्दिश-ए-अय्याम से आगे न बढ़ी

हकीम नासिर

मय-कशी गर्दिश-ए-अय्याम से आगे न बढ़ी

हकीम नासिर

ऐ दोस्त कहीं तुझ पे भी इल्ज़ाम न आए

हकीम नासिर

बाद-ए-सरसर है नसीम-ए-गुलिस्ताँ मेरे लिए

हकीम मोहम्मद हुसैन अहक़र

नाज़-ओ-अदा है तुझ से दिल-आराम के लिए

हैदर अली आतिश

मोहब्बत का तिरी बंदा हर इक को ऐ सनम पाया

हैदर अली आतिश

मय-ए-गुल-रंग से लबरेज़ रहें जाम सफ़ेद

हैदर अली आतिश

जौहर नहीं हमारे हैं सय्याद पर खुले

हैदर अली आतिश

इस शश-जिहत में ख़ूब तिरी जुस्तुजू करें

हैदर अली आतिश

चमन में रहने दे कौन आशियाँ नहीं मा'लूम

हैदर अली आतिश

आइना-ख़ाना करेंगे दिल-ए-नाकाम को हम

हैदर अली आतिश

आबले पावँ के क्या तू ने हमारे तोड़े

हैदर अली आतिश

यही मसअला है जो ज़ाहिदो तो मुझे कुछ इस में कलाम है

हफ़ीज़ जौनपुरी

वो हम-कनार है जाम-ए-शराब हाथ में है

हफ़ीज़ जौनपुरी

सुब्ह को आए हो निकले शाम के

हफ़ीज़ जौनपुरी

शब-ए-विसाल ये कहते हैं वो सुना के मुझे

हफ़ीज़ जौनपुरी

किसी को देख कर बे-ख़ुद दिल-ए-काम हो जाना

हफ़ीज़ जौनपुरी

ख़ुद-ब-ख़ुद आँख बदल कर ये सवाल अच्छा है

हफ़ीज़ जौनपुरी

ख़ुद-बख़ुद आँख बदल कर ये सवाल अच्छा है

हफ़ीज़ जौनपुरी

दिया जब जाम-ए-मय साक़ी ने भर के

हफ़ीज़ जौनपुरी

आग़ाज़-ए-मोहब्बत में बरसों यूँ ज़ब्त से हम ने काम लिया

हफ़ीज़ जौनपुरी

आग़ाज़-ए-मोहब्बत में बरसों यूँ ज़ब्त से हम ने काम लिया

हफ़ीज़ जौनपुरी

मेरी शाएरी

हफ़ीज़ जालंधरी

मिल जाए मय तो सज्दा-ए-शुकराना चाहिए

हफ़ीज़ जालंधरी

कभी ज़मीं पे कभी आसमाँ पे छाए जा

हफ़ीज़ जालंधरी

अब कोई आरज़ू नहीं शौक़-ए-पयाम के सिवा

हफ़ीज़ होशियारपुरी

पैग़ाम ईद

हफ़ीज़ बनारसी

ये कैसी हवा-ए-ग़म-ओ-आज़ार चली है

हफ़ीज़ बनारसी

क़दम शबाब में अक्सर बहकने लगता है

हफ़ीज़ बनारसी

मुद्दत की तिश्नगी का इनआ'म चाहता हूँ

हफ़ीज़ बनारसी

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