जिगर Poetry (page 23)

परतव-ए-हुस्न कहीं अंजुमन-अफ़रोज़ तो हो

अज़ीज़ लखनवी

जीते हैं कैसे ऐसी मिसालों को देखिए

अज़ीज़ लखनवी

जीते हैं कैसे ऐसी मिसालों को देखिए

अज़ीज़ लखनवी

दिल हमारा है कि हम माइल-ए-फ़रियाद नहीं

अज़ीज़ लखनवी

शोख़ी उफ़-रे तिरी नज़र की

अज़ीज़ हैदराबादी

बढ़ गईं गुस्ताख़ियाँ मेरी सज़ा के साथ साथ

अज़ीज़ हैदराबादी

वही दाग़-ए-लाला की बात है कि ब-नाम-ए-हुस्न उधर गई

अज़ीज़ हामिद मदनी

ख़दशे थे शाम-ए-हिज्र के सुब्ह-ए-ख़ुशी के साथ

औलाद अली रिज़वी

नूरा

असरार-उल-हक़ मजाज़

इशरत-ए-तन्हाई

असरार-उल-हक़ मजाज़

ए'तिराफ़

असरार-उल-हक़ मजाज़

आज की रात

असरार-उल-हक़ मजाज़

धनक की बूँद

असलम फ़र्रुख़ी

गुबार-ए-एहसास-ए-पेश-ओ-पस की अगर ये बारीक तह हटाएँ

असलम अंसारी

तालिब हो वहाँ आन के क्या कोई सनम का

आसिफ़ुद्दौला

पूछते क्या हो मिरे तुम दिल-ए-दीवाने से

आसिफ़ुद्दौला

देखिए ख़ाक में मजनूँ की असर है कि नहीं

अशरफ़ अली फ़ुग़ाँ

अक्स भी कब शब-ए-हिज्राँ का तमाशाई है

अशरफ़ अली फ़ुग़ाँ

अबस अबस तुझे मुझ से हिजाब आता है

अशरफ़ अली फ़ुग़ाँ

क़ैद-ए-हस्ती में हूँ अपने फ़र्ज़ की तामील तक

अश्क अमृतसरी

दैर-ओ-हरम भी आए कई इस सफ़र के बीच

अाशा प्रभात

बस्ती मिली मकान मिले बाम-ओ-दर मिले

असग़र मेहदी होश

न ये शीशा न ये साग़र न ये पैमाना बने

असग़र गोंडवी

जीने का न कुछ होश न मरने की ख़बर है

असग़र गोंडवी

गुम कर दिया है दीद ने यूँ सर-ब-सर मुझे

असग़र गोंडवी

गर्म-ए-तलाश-ओ-जुस्तुजू अब है तिरी नज़र कहाँ

असग़र गोंडवी

जाने लगे हैं अब दम-ए-सर्द आसमाँ तलक

असीर लखनवी

ज़ुल्मत-ए-दश्त-ए-अदम में भी अगर जाऊँगा

असर सहबाई

किस तरह खिलते हैं नग़्मों के चमन समझा था मैं

असर लखनवी

जब तक वो शो'ला-रू मिरे पेश-ए-नज़र न था

असद जाफ़री

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