खफा Poetry (page 2)

तुम ख़फ़ा क्या हुए हयात गई

वक़ार बिजनोरी

क्या कहूँ कि क्या हूँ मैं

वलीउल्लाह वली

आप की नज़रों में शायद इस लिए अच्छा हूँ मैं

वलीउल्लाह वली

जो मरीज़ इश्क़ के हैं उन को शिफ़ा है कि नहीं

वलीउल्लाह मुहिब

किवाड़ बंद भी है और नीम-वा भी है

वकील अख़्तर

अपनी ना-कर्दा-गुनाही की सज़ा हो जैसे

वकील अख़्तर

ऐ नसीम-ए-सहरी हम तो हवा होते हैं

वाजिद अली शाह अख़्तर

हम ने देखा है मोहब्बत का सज़ा हो जाना

वहीद अख़्तर

सय्याद आ गए हैं सभी एक घात पर

विश्मा ख़ान विश्मा

या तिरी आरज़ू सा हो जाऊँ

विनीत आश्ना

तू भी नाराज़ बहुत है मुझ से

विकास शर्मा राज़

जुनूँ की पैरवी से ख़ुश नहीं हूँ

विकास शर्मा राज़

हक़ीक़त से जो आश्ना हो गया

वफ़ा बराही

लड़ जाते हैं सरों पे मचलती क़ज़ा से भी

उमर अंसारी

इस तरह रस्म मोहब्बत की अदा होती है

त्रिपुरारि

बे-मेहर कहते हो उसे जो बेवफ़ा नहीं

मीर तस्कीन देहलवी

अपने दम से गुज़र औक़ात नहीं करता मैं

तरकश प्रदीप

हवा रुकी है तो रक़्स-ए-शरर भी ख़त्म हुआ

तारिक़ क़मर

न तुम मिले थे तो दुनिया चराग़-पा भी न थी

तारिक़ क़मर

फ़क़त तुम ही नहीं नाराज़ मुझ से जान-ए-जानाँ

ताहिर अदीम

मुझे वो छोड़ कर जब से गया है इंतिहा है

ताहिर अदीम

ख़ता मैं ने कोई भारी नहीं की

ताबिश मेहदी

तू भली बात से ही मेरी ख़फ़ा होता है

ताबाँ अब्दुल हई

तू भली बात से ही मेरी ख़फ़ा होता है

ताबाँ अब्दुल हई

रोया न हूँ जहाँ में गरेबाँ को अपने फाड़

ताबाँ अब्दुल हई

नहीं कोई दोस्त अपना यार अपना मेहरबाँ अपना

ताबाँ अब्दुल हई

कहते हो सब कि तुझ से ख़फ़ा हो गया है यार

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

जब कहो क्यूँ हो ख़फ़ा क्या बाइ'स

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

उस से भी ऐसी ख़ता हो ये ज़रूरी तो नहीं

सय्यद शकील दस्नवी

यकुम मई

सय्यद मोहम्मद जाफ़री

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