खता Poetry (page 4)

कौन है किस ने पुकारा है सदा कैसे हुई

सरमद सहबाई

मौत की तलाशी मत लो

सारा शगुफ़्ता

बदन से पूरी आँख है मेरी

सारा शगुफ़्ता

ज़िंदगी इस क़दर कठिन क्यूँ है

सलमान अख़्तर

तेग़ खींचे हुए खड़ा क्या है

सलमान अख़्तर

हम झुकाते भी कहाँ सर को क़ज़ा से पहले

सलमा शाहीन

तमाम उम्र की तन्हाइयों पे भारी थी

सलीम शुजाअ अंसारी

सालिम यक़ीन-ए-अज़्मत-ए-सेहर-ए-ख़ुदा न तोड़

सलीम शुजाअ अंसारी

माने तो किस की दीवाना माने

सलीम अहमद

फूलों के देस चाँद सितारों के शहर में

सलाम मछली शहरी

हम ऐसे लोग जल्द असीर-ए-ख़िज़ाँ हुए

सलाम मछली शहरी

खोल कर बात का भरम दोनों

सज्जाद बलूच

खोल कर बात का भरम दोनों

सज्जाद बलूच

हिजाबात उठ रहे हैं दरमियाँ से

साजिद सिद्दीक़ी लखनवी

हम जुर्म-ए-मोहब्बत की सज़ा पाएँगे तन्हा

साहिर लुधियानवी

औरत ने जनम दिया मर्दों को मर्दों ने उसे बाज़ार दिया

साहिर लुधियानवी

26/जानवरी

साहिर लुधियानवी

शर्मा के यूँ न देख अदा के मक़ाम से

साहिर लुधियानवी

गो मसलक-ए-तस्लीम-ओ-रज़ा भी है कोई चीज़

साहिर लुधियानवी

भूले से मोहब्बत कर बैठा, नादाँ था बेचारा, दिल ही तो है

साहिर लुधियानवी

बरबाद-ए-मोहब्बत की दुआ साथ लिए जा

साहिर लुधियानवी

ज़िंदगी हम से ख़फ़ा हो जैसे

साहिर होशियारपुरी

ग़म का सहरा न मिला दर्द का दरिया न मिला

साहिर होशियारपुरी

हिसाब-ए-शब

सहर अंसारी

मैं न पीता तो तिरा लिख्खा ग़लत हो जाता

सईद राही

ज़िंदगी ग़म के अंधेरों में सँवरने से रही

सादिक़ इंदौरी

वो क्यूँ न रूठता मैं ने भी तो ख़ता की थी

साबिर ज़फ़र

वो क्यूँ न रूठता मैं ने भी तो ख़ता की थी

साबिर ज़फ़र

जब कि सारी काएनात उस की निगहबानी में है

रोहित सोनी ‘ताबिश’

वा'दा था जिस का हश्र में वो बात भी तो हो

रियाज़ ख़ैराबादी

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