खता Poetry (page 6)

किस ख़ता की सज़ा मिली उस को

इन्दिरा वर्मा

आज फिर चाँद उस ने माँगा है

इन्दिरा वर्मा

क्या ख़बर क्या ख़ता मिरी थी कि जो

इंद्र सराज़ी

हर बे-ख़ता है आज ख़ता-कार देखना

इम्तियाज़ साग़र

मैं सारी उम्र अहद-ए-वफ़ा में लगा रहा

इमरान हुसैन आज़ाद

झूटे वादों पर तुम्हारी जाएँ क्या

इम्दाद इमाम असर

वस्ल में ज़िक्र ग़ैर का न करो

इमदाद अली बहर

हम-ज़ाद है ग़म अपना शादाँ किसे कहते हैं

इमदाद अली बहर

दिन में आने लगे हैं ख़्वाब मुझे

इफ़्तिख़ार राग़िब

क्या क्या हैं गिले उस को बता क्यूँ नहीं देता

इब्न-ए-रज़ा

कर बुरा तो भला नहीं होता

इब्न-ए-मुफ़्ती

शाम-ए-ग़म की सहर नहीं होती

इब्न-ए-इंशा

वो आलम है कि हर मौज-ए-नफ़स है रूह पर भारी

हुरमतुल इकराम

सुना है ख़्वाब मुकम्मल कभी नहीं होते

हुमैरा राहत

मिसाल-ए-ख़ाक कहीं पर बिखर के देखते हैं

हुमैरा राहत

वो तक़ाज़ा-ए-जुनूँ अब के बहारों में न था

होश तिर्मिज़ी

कभी आहें कभी नाले कभी आँसू निकले

होश तिर्मिज़ी

अन-कही

हिमायत अली शाएर

दिल फ़ुर्क़त-ए-हबीब में दीवाना हो गया

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

कू-ए-जानाँ में अदा देखिए दीवानों की

हीरा लाल फ़लक देहलवी

आफ़्ताब अब नहीं निकलने का

हातिम अली मेहर

पैरव-ए-मस्लक-ए-तस्लीम-ओ-रज़ा होते हैं

हसरत मोहानी

दुआ में ज़िक्र क्यूँ हो मुद्दआ का

हसरत मोहानी

अज़ीज़ो तुम न कुछ उस को कहो हुआ सो हुआ

हसरत अज़ीमाबादी

इक क़िस्सा-ए-तवील है अफ़्साना दश्त का

हसन अज़ीज़

ज़िंदगी अब रहे ख़ता कब तक

हरी मेहता

दश्त में मिस्ल सदा के थे

हरबंस तसव्वुर

काश होती न ये ख़ता हम से

हंस राज सचदेव 'हज़ीं'

पोशीदा अजब ज़ीस्त का इक राज़ है मुझ में

हामिद मुख़्तार हामिद

हर वफ़ा ना-आश्ना से भी वफ़ा करना पड़ी

हामिद इलाहाबादी

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