खुशी Poetry (page 16)

क़दम क़दम पे हैं बिखरी हक़ीक़तें क्या क्या

फ़ुज़ैल जाफ़री

तेज़ एहसास-ए-ख़ुदी दरकार है

फ़िराक़ गोरखपुरी

रात भी नींद भी कहानी भी

फ़िराक़ गोरखपुरी

अपने ग़म का मुझे कहाँ ग़म है

फ़िराक़ गोरखपुरी

उन पे क़ुर्बान हर ख़ुशी कर दी

फ़िगार उन्नावी

ग़म-ओ-अलम से जो ताबीर की ख़ुशी मैं ने

फ़िगार उन्नावी

लब पे झूटे तराने होते हैं

फ़िगार उन्नावी

हासिल-ए-ज़ब्त-ए-फ़ुग़ाँ नाकाम है

फ़िगार उन्नावी

मिलों के शहर में घटता हुआ दिन सोचता होगा

फ़ज़्ल ताबिश

सफ़ेद-पोशी-ए-दिल का भरम भी रखना है

फ़ाज़िल जमीली

इस कॉकटेल का तो नशा ही कुछ और है

फ़ाज़िल जमीली

सरहदें

फ़ाज़िल जमीली

सफ़ेद-पोशी-ए-दिल का भरम भी रखना है

फ़ाज़िल जमीली

हम ने किसी की याद में अक्सर शराब पी

फ़ाज़िल जमीली

न सनम-कदों की है जुस्तुजू न ख़ुदा के घर की तलाश है

फ़ाज़िल अंसारी

लहू हमारी जबीं का किसी के चेहरे पर

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

मैं बोली तेरे लब पर है हँसी मेरी

फ़ौज़िया रबाब

कभी बे-नियाज़-ए-मख़्ज़न कभी दुश्मन-ए-किनारा

फ़ारूक़ बाँसपारी

वो न आएगा यहाँ वो नहीं आने वाला

फ़ारूक़ बख़्शी

सौत क्या शय है ख़ामुशी क्या है

फ़रहत शहज़ाद

सौत क्या शय है ख़ामुशी क्या है

फ़रहत शहज़ाद

जब हर नज़र हो ख़ुद ही तजल्ली-नुमा-ए-ग़म

फ़रहत क़ादरी

कौन सी ऐसी ख़ुशी है जो मिली हो एक बार

फ़रहत एहसास

पहले तो ज़रा सा हट के देखा

फ़रहत एहसास

हमें जब अपना तआरुफ़ कराना पड़ता है

फ़रहत एहसास

घर में चीज़ें बढ़ रही हैं ज़िंदगी कम हो रही है

फ़रहत एहसास

दिल ने इमदाद कभी हस्ब-ए-ज़रूरत नहीं दी

फ़रहत एहसास

औरों ने उस गली से क्या क्या न कुछ ख़रीदा

फ़रहत एहसास

ये कहाँ से मौज-ए-तरब उठी कि मलाल दिल से निकल गए

फ़रीद जावेद

ये कहाँ से मौज-ए-तरब उठी कि मलाल दिल से निकल गए

फ़रीद जावेद

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