होंठ Poetry (page 48)

रिवायात की तख़्लीक़

अख़्तर पयामी

नश्तर से आरज़ू के दिल-ए-ज़िंदगी फ़िगार

अख़्तर ओरेनवी

मुझ को मंज़ूर नहीं इश्क़ को रुस्वा करना

अख़तर मुस्लिमी

नाले मिरे जब तक मिरे काम आते रहेंगे

अख़तर मुस्लिमी

देखो उस ने क़दम क़दम पर साथ दिया बेगाने का

अख्तर लख़नवी

इम्तिनाअ का महीना

अख़्तर हुसैन जाफ़री

तमाम हर्फ़ मिरे लब पे आ के जम से गए

अख़्तर होशियारपुरी

शाम तन्हाई धुआँ उठता बराबर देखते

अख़्तर होशियारपुरी

शाख़ों पे ज़ख़्म हैं कि शगूफ़े खिले हुए

अख़्तर होशियारपुरी

मैं उस का नाम घुले पानियों पे लिखता क्या

अख़्तर होशियारपुरी

हम अक्सर तीरगी में अपने पीछे छुप गए हैं

अख़्तर होशियारपुरी

ज़ुल्म सहते रहे शुक्र करते रहे आई लब तक न ये दास्ताँ आज तक

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

यूँ बदलती है कहीं बर्क़-ओ-शरर की सूरत

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

न राज़-ए-इब्तिदा समझो न राज़-ए-इंतिहा समझो

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

क्या ख़बर थी इक बला-ए-ना-गहानी आएगी

अख़्तर अंसारी

ग़म-ज़दा हैं मुब्तला-ए-दर्द हैं नाशाद हैं

अख़्तर अंसारी

फ़ौजियों के सर तो दुश्मन के सिपाही ले गए

अख़लाक़ बन्दवी

फ़लक से चाँद चमन से गुलाब ले आए

अख़लाक़ बन्दवी

सुरूर

अख़लाक़ अहमद आहन

अकेले अकेले ही पा ली रिहाई

अख़लाक़ अहमद आहन

किसे जाना कहाँ है मुनहसिर होता है इस पर भी

अखिलेश तिवारी

जुनून-ए-इश्क़ का जो कुछ हुआ अंजाम क्या कहिए

अख़गर मुशताक़ रहीमाबादी

कहा था उस ने मोहब्बत की आबरू रखना

अकबर हमीदी

जो तुम्हारे लब-ए-जाँ-बख़्श का शैदा होगा

अकबर इलाहाबादी

जज़्बा-ए-दिल ने मिरे तासीर दिखलाई तो है

अकबर इलाहाबादी

गले लगाएँ करें प्यार तुम को ईद के दिन

अकबर इलाहाबादी

न नज़र से कोई गुज़र सका न ही दिल से मलबा हटा सका

अजमल सिद्दीक़ी

अगर फ़क़ीर से मिलना है तो सँभल पहले

अजीत सिंह हसरत

सहरा-ए-ला-हुदूद में तिश्ना-लबी की ख़ैर

अजय सहाब

बंदे ज़मीन और आसमाँ सरमा की शब कहानियाँ

ऐतबार साजिद

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