लहू Poetry (page 35)

दुनिया भी पेश आई बहुत बे-रुख़ी के साथ

अख़तर इमाम रिज़वी

तपिश गुलज़ार तक पहुँची लहू दीवार तक आया

अख़्तर हुसैन जाफ़री

इक हर्फ़-ए-फ़सुर्दा दाग़ में है

अख़्तर हुसैन जाफ़री

तपिश गुलज़ार तक पहुँची लहू दीवार तक आया

अख़्तर हुसैन जाफ़री

तिलिस्म-ए-गुम्बद-ए-बे-दर किसी पे वा न हुआ

अख़्तर होशियारपुरी

शायान-ए-ज़िंदगी न थे हम मो'तबर न थे

अख़्तर होशियारपुरी

मेरे लहू में उस ने नया रंग भर दिया

अख़्तर होशियारपुरी

मैं उस का नाम घुले पानियों पे लिखता क्या

अख़्तर होशियारपुरी

मैं हर्फ़ देखूँ कि रौशनी का निसाब देखूँ

अख़्तर होशियारपुरी

ख़्वाब-महल में कौन सर-ए-शाम आ कर पत्थर मारता है

अख़्तर होशियारपुरी

दश्त-दर-दश्त अक्स-ए-दर है यहाँ

अख़्तर होशियारपुरी

रगों में दौड़ती हैं बिजलियाँ लहू के एवज़

अख़्तर अंसारी

क़सम इन आँखों की जिन से लहू टपकता है

अख़्तर अंसारी

मैं दिल को चीर के रख दूँ ये एक सूरत है

अख़्तर अंसारी

ग़म-ए-हयात कहानी है क़िस्सा-ख़्वाँ हूँ मैं

अख़्तर अंसारी

अब वो सीना है मज़ार-ए-आरज़ू

अख़्तर अंसारी

लगा के आग बुझाने की बात करते हो

अख़लाक़ अहमद आहन

हम आज बज़्म-ए-रक़ीबाँ से सुर्ख़-रू आए

अख़लाक़ अहमद आहन

मुलाहिज़ा हो मिरी भी उड़ान पिंजरे में

अखिलेश तिवारी

तिरे ग़ुरूर की इस्मत-दरी पे नादिम हूँ

अकबर मासूम

ये सारी धूल मिरी है ये सब ग़ुबार मिरा

अकबर मासूम

आँख में आँसू का और दिल में लहू का काल है

अकबर हैदराबादी

हर्फ़-ए-यक़ीं

अकबर हैदराबादी

जब सुब्ह की दहलीज़ पे बाज़ार लगेगा

अकबर हैदराबादी

आँख में आँसू का और दिल में लहू का काल है

अकबर हैदराबादी

कहा था उस ने मोहब्बत की आबरू रखना

अकबर हमीदी

सिखा सकी न जो आदाब-ए-मय वो ख़ू क्या थी

अकबर अली खान अर्शी जादह

कभी ज़ख़्म ज़ख़्म निखर के देख कभी दाग़ दाग़ सँवर के देख

अकबर अली खान अर्शी जादह

आरज़ू थी खींचते हम भी कोई अक्स-ए-हयात

अजमल अजमली

रास्ते के पेच-ओ-ख़म क्या शय हैं सोचा ही नहीं

अजमल अजमली

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