मौज Poetry (page 11)

वो लोग भी हैं जो मौजों से डर गए होंगे

सलीम अहमद

कोई सितारा-ए-गिर्दाब आश्ना था मैं

सलीम अहमद

एक ख़ुश्बू दिल-ओ-जाँ से आई

सलीम अहमद

बैठे हैं सुनहरी कश्ती में और सामने नीला पानी है

सलीम अहमद

अहल-ए-दिल ने इश्क़ में चाहा था जैसा हो गया

सलीम अहमद

ये अब्र-ओ-बाद ये तूफ़ान ये अँधेरी रात

सलाम मछली शहरी

न मौज-ए-बादा न ज़ुल्फ़ों न इन घटाओं ने

सलाम मछली शहरी

ग़म पर हैं तअ'ना-ज़न तो ख़ुशी भी निभाइए

सलाम मछली शहरी

छलकी हर मौज-ए-बदन से हुस्न की दरिया-दिली

सज्जाद बाक़र रिज़वी

ज़हर इन के हैं मिरे देखे हुए भाले हुए

सज्जाद बाक़र रिज़वी

वो तेरी इनायत की सज़ा याद है अब तक

सज्जाद बाक़र रिज़वी

पूछो मुझे ऐ हम-नफ़साँ कौन हूँ क्या हूँ

सज्जाद बाक़र रिज़वी

दिल ख़ूँ हुआ है शोख़ी-ए-रंग-ए-हिना के साथ

सज्जाद बाक़र रिज़वी

दिल दश्त है वफ़ूर-ए-तमन्ना ग़ुबार है

सज्जाद बाक़र रिज़वी

अहद-ए-वफ़ा सुबुक-हवा रंग-ए-वफ़ा के साथ साथ

सज्जाद बाक़र रिज़वी

कहाँ ज़मीं के ज़ईफ़ ज़ीने पे चल रही है

सज्जाद बलूच

वो इश्क़ जो हम को लाहिक़ था

साजिदा ज़ैदी

हर आइने में तिरे ख़द्द-ओ-ख़ाल आते हैं

साजिद अमजद

आप ठहरे हैं तो ठहरा है निज़ाम-ए-आलम

सैफ़ुद्दीन सैफ़

फूल इस ख़ाक-दाँ के हम भी हैं

सैफ़ुद्दीन सैफ़

जब वज्ह-ए-सुकून-ए-जाँ ठहर जाए

सैफ़ुद्दीन सैफ़

गरचे सौ बार ग़म-ए-हिज्र से जाँ गुज़री है

सैफ़ुद्दीन सैफ़

क्या पूछते हो दर्द के मारों की ज़िंदगी

सैफ़ी सरौंजी

साए जो संग-ए-राह थे रस्ते से हट गए

सैफ़ ज़ुल्फ़ी

विर्सा

साहिर लुधियानवी

नई सुब्ह

साहिर होशियारपुरी

ज़िंदगी हम से ख़फ़ा हो जैसे

साहिर होशियारपुरी

दिल है बहर-ए-बे-कराँ दिल की उमंग

साहिर देहल्वी

मोहलत न दे ज़रा भी मुझे मेरी जान खींच

सहबा वहीद

है बाइस-ए-सुकून सुख़न-वर तुम्हारा नाम

सहर महमूद

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